सर्दियों के मौसम में मेरे मन को आज भी वो किस्सा गर्माहट से भर देता है। एक माँ की अपने नन्हें से बीमार बच्चे के लिए फ़िक्र और तड़प में रुआँसी शक्ल याद आते ही मन खिन्न हो जाता है। खुद बच्ची सी थी न बच्चा पालने का कोई अनुभव न सुजबुझ। बच्चा हंसता तो वो भी हंसती, बच्चा रोता तो खुद भी रो देती। किस्सा कुछ ऐसा है कि कुछ साल पहले हमारे पड़ोस में एक कपल रहने के लिए आया था, जिनका एक साल का बेटा था। लड़की मुश्किल से इक्कीस बाईस साल की होगी, हमारा अभी ज़्यादा परिचय नहीं हुआ था बस वो लोग सामान शिफ़्ट कर रहे थे तब एक दो बार मैं चाय पानी देने गई थी। फिर वह लोग अपना घर सेट करने में लगे थे। एक रात दो बजे अचानक उनका बेटा इतना रो रहा था की एक घंटे से लगातार रोए जा रहा था। जनवरी का महीना था और कड़ाके की ठंड़ में सब अपने-अपने घरों में आराम से सो रहे थे, पर मुझ नींद नहीं आ रही थी। बार-बार मन उस बच्चे का रोना सुनकर आहत हो रहा था। ओर आधा घंटा बीत गया पर बच्चे का रोना शांत नहीं हुआ, तो मैं उठकर गई उनके घर। थोड़ी झिझक तो हुई यूँ अन्जान लोगों के घर में दखल देते पर शायद उनके कुछ काम आ सकूँ ये सोचकर चली गई। थोड़ी देर में दरवाज़ा खुला दोनों पति-पत्नी घबराए हुए लग रहे थे। मैंने पूछा क्यूँ बच्चा इतना रो रहा है बिमार है क्या? लड़की रोने लगी और बोली आंटी इसको खांसी और ज़ुकाम हो गया है, दवाई तो दी पर ठीक नहीं हुआ इसलिए लगातार रोए जा रहा है।
मैंने कहा क्या मैं देख सकती हूँ बच्चे को, दोनों ने कहा जी आंटी आईये ना अंदर। मैंने देखा बच्चा ठीक से साँस नहीं ले पा रहा था, कफ़ और सर्दी से निढ़ाल था। मैंने कहा इसे किचन में ले आओ और गैस पर तवा गर्म करने रखा, फिर एक कपड़े का गोटा बनाकर तवे पर थोड़ा उपर रखकर तपाकर बच्चे की छाती और पीठ पर पंद्रह बीस मिनट तक शेक दिया, हल्दी और शहद चटवा दिया, फिर सरसों का तेल हल्का गर्म करके नाभि में दो चार बूँद टपका दी और पूरे बदन को गर्म कपड़ों से ढ़क दिया हल्का सा बाम लगाकर आहिस्ता-आहिस्ता सर पर और नाक पर मसाज किया तो नाक खुलते ही बच्चा थोड़ी देर में आराम से सो गया। दोनों पति-पत्नी के चेहरे पर रौनक लौट आई। लड़की रोते हुए मेरे पैर पड़ने लगी और बोली आंटी आपका बहुत-बहुत आभार अगर आप न आती तो न जानें कब तक रोता रहता मेरा बच्चा। मैंने कहा ये मत करो बेटे, अक्सर सर्दियों के मौसम में छोटे बच्चे ठंड़ की चपेट में आ जाते है, ये तो हमें सालों का तजुर्बा है। दवाई के साथ कुछ घरेलू नुस्खें आज़माएंगे तो बच्चों को बिमारियों से ज़ल्दी निजात दिला सकते है। और उस सर्दियों वाले मौसम के बाद हमारे बीच एक गर्माहट भरा रिश्ता कायम हो गया है। हर छोटी बात पर वो बच्ची सलाह लेने दौड़ आती है, और मैं भी एक माँ की तरह उसकी हर मुश्किल को आसान बनाने की कोशिश करती हूँ।
भावना ठाकर 'भावु' (बेंगलूरु, कर्नाटक)
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