साया तक साथ नहीं

साया तक साथ नहीं

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Bhavna Thaker
Bhavna Thaker 13 Dec, 2020 | 1 min read
Prem Bajaj

प्यास कहती है क्यूँ ना रेत निचोड़ी जाए,

समुन्दर अपने हिस्से में नही आने वाला।


किरकिरी आँखों की थक भी जाए तो,

आँसू किसी दामन पे नहीं ढ़लने वाला।


नासूर बन गए है ज़ख़्मों के निशान अब,

मरहम भी लगता है मौत से मिलने वाला।


अपनों का मेला फिर भी दिल तन्हा है,

चल अकेला तुझे नहीं कोई चाहने वाला।


ख़ुदपरस्त ज़माना है बेगैरत सब अपने,

हाथ भी कोई तुम्हारा नहीं थामने वाला।


छान ली ख़ाक़ हर दहलीज़ हर चौखट पे,

खुशियों से झोली कोई नहीं भरने वाला।


अधूरा तेरा जीवन यूँही अधूरा ही कटेगा,

स्वाद सुगंध रस कहीं से नहीं झरने वाला। 


लकीरों में तम ही जब लेकर तुम जन्मे हो

सुनहरा सा सूरज कोई नहीं उगने वाला।


अकेले आए थे जब जाना भी अकेला है,

साया तक भी साथ तेरे नहीं चलने वाला।

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(भावना ठाकर)

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