प्यारी सी डोर से बंधा रिश्ता क्यूँ टूट जाता है

प्यारी सी डोर से बंधा हुआ रिश्ता क्यूँ टूट जाता है

Originally published in hi
❤️ 2
💬 0
👁 806
Bhavna Thaker
Bhavna Thaker 25 Jun, 2022 | 1 min read

सांसारिक जीवन का सबसे सुंदर रिश्ता दांपत्य की प्यारी सी डोर से बंधा होता है..


अग्नि को गवाह रखते, चुटकी सिंदूर की सौगात से सजा काले मनके संग कुंदन पिरोकर प्रीत के धागे से बंधा रिश्ता जब टूटकर बिखरता है तलाक की कटार का मारा..

 

तब एहसासों का सागर सूखता है, अश्कों का सैलाब आता है, खून होता है दो चाहत भरे दिलों का और परिवार दागदार होता है..

 

जुड़ते है जितने प्यार से उतनी ही नफ़रत से जुदा होते है, क्यूँ दो चाहने वाले एक दूसरे से इतने ख़फ़ा होते है..

 

न ज़िंदगी की, न परिवार की, न बच्चों की परवाह करते है अहंकार की शूली पर एक सुहाने रिश्ते को कुर्बान कर देते है..


तलाक महज़ शब्द नहीं एहसासों को विच्छेद करती छैनी है, काट कर रख देती है कतरा-कतरा रिश्ते का धागा लिहाज़ कहाँ करती है..


माना की गलती इंसानों से होती है पर गलती से जुदा तू भी नहीं अपनों से माफ़ी मांगने में शर्म कैसी हल्की सी सौरी कमज़ोर रिश्ते की जडीबुट्टी है क्यूँ खा नहीं लेते..

 

प्यार का मोहताज रिश्ता चंद इल्ज़ामों पर तलाक की नींव बन जाता है, एक वक्त चाँद की उपमा से नवाजने वाले दो प्रेमी एक दूसरे की शक्ल को नफ़रत भरी नज़रों से देखने लग जाते है..

 

पिसते है बच्चें अभिभावकों के अलगाव पर, बड़े बुज़ुर्ग समझाने से थकते है नहीं समझते ठान चुके दंपत्ति जुदाई का जुगाड़ करके ही दम लेते है..


क्यूँ नहीं जुड़े रहते प्यार के धागे से बँधकर, छोटी सी ज़िंदगी में अहं को पहाड़ जितना विराट कर लेते है, शादी के वक्त सात जन्मों तक साथ जीने मरने की कसम उठाने वाले संभाल नहीं पाते चंद सालों तक रिश्ता ..

भावना ठाकर 'भावु' बेंगलोर

2 likes

Support Bhavna Thaker

Please login to support the author.

Published By

Bhavna Thaker

bhavnathaker

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.