कोई तो इतिहास रचो

कोई तो इतिहास रचो

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Bhavna Thaker
Bhavna Thaker 08 Sep, 2021 | 0 mins read
Prem Bajaj

"कोई तो इतिहास रचो"

अपनी प्रिया का सुंदर स्वरुप देखना है अपनी आँखों में तो जैसे हो वैसे रहो, वफ़ादार साथी का साथ बनाता है सुंदर स्त्री को।


उसके कदम से कदम मिलाओ चाँद की तरह चमकते उसकी राहों में रोशनी भरो, वो महसूस करेगी मानों आसमान में उड़ रही हो।


उसकी सोच से अपनी सोच का मिलन रचो वो अपनी रूह निकालकर रख देगी तुम्हारी हथेलियों पर, उसकी बात को सही साबित होने दो उसके भीतर आत्मविश्वास खिल उठेगा।


वह रिश्ते में शिद्दत से बंधी होती है उसके एहसास को सम्मानित करो, भीतर से खाली होते समर्पित हो जाएगी उसके स्पंदन पराग से नवपल्लवित हो जाएंगे।


जब वो टूट चुकी हो ज़िंदगी की बाज़ी हारते उसे आगोश में लेकर अपना सबकुछ हारते प्यार दो सोहनी सोने सी निखर उठेगी।


उसका हाथ थामें ले चलो झिलमिलाती नई दहलीज़ तक, प्रवाल सा मृदु उर है औरत का प्रीत की नमी का इंधन दो पनप उठेगी आपके आँगन में तुलसी सी ज़रा सा हक तो दो।


बहुत हुआ स्त्री विमर्श का नाटक अब तो पटाक्षेप हो इस विषय का, कोई तो नारी के वजूद का नया शृंगार करो सही स्थान देकर नया इतिहास रचो।

(भावना ठाकर, बेंगुलूरु) #भावु

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