शृंगार रस (यूनिक लव)

यूनिक लव

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Bhavna Thaker
Bhavna Thaker 07 Sep, 2021 | 1 min read
Prem Bajaj


झील की शांत हल्की लहरों के सीने पर खेलते कँवल सा माहताब तुम्हारा,

मेरी आँखों को रंगत का सजीला पहरन पहनाकर हया की शौख़ीयों में सिमटा है सोहनी।


चाँद सी उजली अपनी कलाईयों को मोड़ दो लचीलेपन का गहना पहनाकर, मेरी गरदन पर हार बनकर झूल जाओ मैं तकता रहूँ ताउम्र तुम्हें पागलों सा यूँहीं। 


कसमसाती हंसी ठहरी है जो लबों की सुर्खियों संग ताल मिलाती मुखर कर दो उसे हल्की सी, दौड़ती आन बसे मेरी साँसों के भीतर घुलती।


फिरोजी नैंनों की अतरंगी आँधियां कम्माल की नुकीली वेधक अठखेलियां, झुकते ही जलाती है उठते ही खिंचती रोक लो बवंडर है हुश्न की शौख़ीयां। 


पलकें झुके गर तुम्हारी इज़हार ए इश्क में  कुबूल कर लो तुम जो मोहब्बत मेरी, कामिल कर लें अहसासों की दहकती आग, चंद मुलाकातों को मिलन के महकते सिलसिलों में बदल लें। 


ओ संदली सी नूर ए नज़र सुनों, तुम्हारे जिस्म की महक में नहा लूँ थोड़ा, लिपटी रहो मेरे जिस्म से बेल की भाँति नशेमन में चलो बहक जाए दोनों।


तुम अर्चन सी मैं धूप सा मेरी गोद में सर रख लो मृदु तूफ़ान जो उठ रहा उर के भीतर प्रणय फ़ाग की रंगत भर लो, शमन करें तन से बहती चाहत की प्रज्जवलित प्रार्थनाओं का मिलकर हम दोनों।

(भावना ठाकर, बेंगुलूरु)#भावु

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Bhavna Thaker

bhavnathaker

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Vinita Tomar · 3 years ago last edited 3 years ago

    Nice expression

  • Charu Chauhan · 3 years ago last edited 3 years ago

    👍

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