❤नारी दिवस की हार्दिक बधाई❤
नारी दिवस पर और क्या दूँ तुम्हें, सुनों मेरी अर्धांगिनी यूँ तो इश्क जताने की मेरी आदत नहीं पर कह न सका कभी तुमसे वो राज़ आज कहता हूँ..
आँसूओं पर सिर्फ़ तुम्हारा ही अधिकार नहीं..
गिलाफ़ मेरा भी किसी रात अश्कों की फुहार में भिगते गिला होता है..
जब-जब छूट जाता है तुम्हारी तमन्नाओं में मुझसे साँसें भरना
उस रात कहर ढ़ाता है मेरा नाकाम होना, तुम्हारी उदास आँखों की उस आग में जलते बरस जाती है मेरी कमज़ोरी आँखों के रस्ते बहते-बहते..
"तुम्हारे अश्कों को मैंने अपने नाम जो कर लिया है, तुम्हारे सुख से आगे कहाँ कभी कुछ चाहा मैंने"
अग्नि के इर्द-गिर्द फेरे लेते चुटकी सिंदूर सजाया मैंने
मांग तुम्हारी हो चुकी तब से रक्त वर्णित मेरे नाम से..
तुमने सौंपा जिस पल अपने वजूद को मुझे अपना सबकुछ पीछे छोड़ते,
मेरी सुखशैया तुम्हारी लकीरों में लिख दी उसी पल मैंने तुम्हारे दर्द से सौदा करते..
कैसे प्रस्थापित करूँ खुद को कि तुम समझ पाओ मेरे प्रेम की इन्तेहाँ..
तुम्हारे प्रति आत्मिक भाव की चरम जताने में शब्द कम पड़ सकते है, एहसास भी शायद व्यक्त न हो, पर तुम्हारे सपने कभी नहीं मर सकते,
"जब तक मेरी प्रार्थनाएं ज़िंदा है"
इस वादे को थाम लो न टूटेगा कभी कसम है मुझे तुम्हारी आँखों की जिस पर मेरी जाँ फ़िदा है..
कहते है लोग स्त्री सृष्टि की सबसे सुंदर रचना है तो क्यूँ न रंग भरूँ उस प्रतिमा में जिसने मेरा विरान शामियाना अपनी चाहत से सजाया है...
तुम खुद को बहारों की मल्लिका समझो मैं बागबान तुम्हारा, मेरी चाहत की नमी को पीकर सदा खिलखिलाती रहो..
महज़ एक दिन क्यूँ? मेरी ख़्वाहिश है कि
तुम नारी दिवस मनाओ हर रोज़ तब तक,
जब तक मेरे सिने में ये दिल धड़कता है।
भावना ठाकर 'भावु' (बेंगलोर,कर्नाटक)
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