"अब वक्त आ गया है" बलात्कार का दमन हो

बलात्कार अब और नहीं

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Bhavna Thaker
Bhavna Thaker 12 Oct, 2020 | 1 min read
Prem Bajaj


आए दिन पत्रिकाओं में चार महीने की बच्ची से लेकर किसी भी उम्र की लड़की और महिला के साथ हो रहे शारीरिक अत्याचार के चलते सीमा अपनी 11 साल की बच्ची को लेकर चिंतित हो उठती थी। और एक आंशिक भय उसके दिमाग को कचोटता रहता था। गली मोहल्ले और फूटपाथ तो छोड़ो खुद अपने घर में भी बेटीयाँ कहाँ सुरक्षित है।

अपने ही घर के कुछ सदस्य की गतिविधियों से परेशान सीमा ने ठान लिया पिंकी भले ही छोटी है पर अब वक्त आ गया है पिंकी को उन सारी चीज़ों से अवगत कराने का जो उसे एसी हरकतों से बचाने में सहायक बनें। 

सीमा ने पिंकी को प्यार से बड़ी सहुलियत से पास बिठाया और कुछ बातें और चित्रों के द्वारा पिंकी को समझाने लगी। ये देखकर अजय गुस्से से तिलमिलाते हुए बोला सीमा ये क्या कर रही हो, शर्म नहीं आती तुम्हें इतनी छोटी बच्ची के दिमाग में एसी गंदी बातें ड़ाल रही हो। ये पक्षीयों का चोंच लड़ाना, ये लड़के-लड़की की नज़दीकीयाँ, ये बलात्कार वाले आर्टिकल ये सब दिखाकर तुम हमारी बच्ची को कैसे संस्कार दे रही हो। पिंकी अभी ग्यारह साल की मासूम है, ये सब अठ्ठारह साल के बाद समझाना खबरदार जो आज के बाद पिंकी को ये सब सिखाया। 

सीमा सहम कर चुप-चाप रसोई में चली गई संयुक्त परिवार था घर में दस लोग एक साथ रहते थे। दो जवान देवर थे उसमें से छोटे वाले रोहन की नज़र और चाल चलन सीमा को अजीब लगते थे। हंमेशा एक डर लगा रहता था। सीमा जितना हो सके पिंकी को रोहन से दूर रखने की कोशिश में रहती थी क्यूँकी कई बार लाड़ करने के बहाने रोहन पिंकी को एसे बाँहों में जकड़ कर एसे चुमता था की पिंकी सिहर उठती थी। और रोहन की आँखों में वासना के सपोले लोटते देख सीमा कराह उठती थी। इसीलिए समाज में घट रही घटनाओं को देखते हुए सीमा अपनी बच्ची को कुछ एसी छुअन के बारे में आगाह कराना चाहती थी की इस तरह से यहाँ-वहाँ तुम्हें कोई छुए या तुम्हारे साथ एसी हरकतें करें तो चिल्ला कर सबको इकट्ठा कर दो, और एसी पकड़ से कुछ भी करके छुट जाओ, सीमा मन ही मन अकुलाते बोली एक बेटी की माँ होना आजकल के ज़माने में सज़ा है ये कैसे तुम्हें समझाऊँ अजय। घर में ही घूम रहे भेड़िये तो आपको दिखते नहीं।

और एक दिन सीमा को जिस बात का डर था वही हुआ, पिंकी को नहलाते समय सीमा ने पिंकी के सीने पर नाखूनों के निशान देखें ओर गरदन पर कुछ नीले निशान। सीमा ने एकदम से घबरा कर पिंकी से पूछा की ये कैसे हुआ ? और पिंकी के वजह बताने पर गुस्से और डर के मारे सीमा काँप उठी, रोहन ने पिंकी के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की थी पर पिंकी रोहन का हाथ काटकर भाग निकली थी।

सीमा गुस्से से पागल हो उठी। तुरंत अजय को फोन करके ऑफिस से घर बुलाया ओर खुद सामान बाँधकर तैयार रही। जैसे ही अजय आया पिंकी से सारी बातें उगलवाई और कहा की देख लिया मैं उस दिन पिंकी को क्यूँ वो सब सिखा रही थी ? अब समय आ गया है बच्चियों को सबकुछ खुल्लम-खुल्ला समझाने का, कोने-कोने में दरिंदे घुमते है। बेटीयों को आम छुअन ओर गंदी मानसिकता वाली छुअन में फ़र्क समझ में आना चाहिए।

अब मैं पिंकी को लेकर मायके जा रही हूँ जब अलग घर लेकर रहने का इंतज़ाम कर लो तब आकर ले जाना हमें।अजय को अब खुद की गलती का अहसास हो गया था तो सीमा को रोकने की कोशिश भी नहीं की ओर एक ठोस निर्णय के साथ अलग घर ढूँढने निकल गया। आज सीमा ने एक और निर्णय किया की अलग रहकर अपने आस-पास बसी बेटीयों को वो बलात्कार और शारीरिक शोषण से खुद का बचाव कैसे किया जाए उन सारी चीज़ों की शिक्षा देंगी। और जितना हो सके बेटीयों को एसी गतिविधियों से लड़ने के लिए सक्षम बनाएगी। घर में हुए एक हादसे ने सीमा को एक मकसद दे दिया। 

आज सीमा की क्लासिस में असंख्य लड़कीयों को नि:शुल्क वो सारी तालीम दी जाती है जो उनको एसी परिस्थिति से जूझने और बचने में सहायक बनें। सीमा के इस नेक और सराहनीय काम को समाज में उजागर करने हेतु मिडिया वालों ने सीमा का इंटरव्यू लेते पूछा सीमा जी आप इतना सराहनीय काम कर रही है इस विषय में कुछ बताइए। समाज में हो रही बलात्कार की घटनाओं से कैसे निपटा जाए। 

सीमा पत्रकारों को संबोधित करते बोली देखिए आज कल लोगों की मानसिकता खराब करने में सबसे बड़ा हाथ इंटरनेट क्रांति और स्मार्टफोन की सर्वसुलभता है। इस छोटे से मोबाइल नाम के मशीन ने पोर्न या बीभत्स यौन-चित्रण को सबके पास आसानी से पहुंचा दिया है। कल तक इसका उपभोक्ता केवल समाज का उच्च मध्य-वर्ग या मध्य-वर्ग ही था, लेकिन आज यह समाज के हर वर्ग के लिए सुलभ हो चुका है। सबके हाथ में है और लगभग फ्री है। कीवर्ड लिखने तक की जरूरत नहीं। आप मुंह से बोलकर गूगल को आदेश दे सकते है। इसलिए इस परिघटना पर विचार करते किस किसकी मानसिकता हम बदल सकते है। उपाय ये है की अब बेटीयों को वो सारी तालीम दी जाए जिससे एसी परिस्थिति में वो अपना बचाव कर पाएं।

दुर्घटना पर हमारा कोई बस नहीं होता लेकिन सतर्कता, सावधानियां और होशियारी हमें कई विपरीत हालातों से बचा जरूर सकती है। 

हर लड़की और महिला को अपने पर्स में हमेशा मिर्च पॉवडर, मिर्ची स्प्रे और ब्लेड रखनी चाहिए। यह सावधानी बचाव में 100 प्रतिशत कारगर है।

जब कहीं अकेले बस, ऑटो या कार में सफर करें और ड्राइवर पर जरा भी शक हो तो अपने मोबाइल से अपने आपको रिंग देकर नकली फोन पर बातचीत करें। जैसे अरे भैया, आप करीबी थाने में हैं क्या? मैं बस पहुँच ही रही हूँ। साथ ही

बेटीयों को कराटे जैसी विद्या सिखानी चाहिए और सही खान-पान से एसे सशक्त बनाना चाहिए की एकल दुक्कल पर भारी पड़ सकें। 

धीमी न्यायिक प्रक्रिया को थोड़ा गतिशील बनाते पुलिस प्रशासन और सरकार को बलात्कार जैसी घटनाओं पर सख्ती से त्वरित कड़े से कड़े फैसले लेने चाहिए, और बलात्कार की सज़ा इतनी घिनौनी होनी चाहिए की गुनहगार गुनाह करने से पहले सौ बार सोचे। 

सीमा के विचारों से प्रभावित होते सभी ने तालियों से सीमा का अभिवादन किया सीमा ने पत्रकारों का धन्यवाद करते इंटरव्यू खत्म किया। और आज अजय ने भी अपनी पत्नी के आगे नतमस्तक होते धन्यवाद कहा। और कहा की सीमा मुझे तुम पर गर्व है आजकल की सारी माताओं को तुम्हारी तरह अपनी बच्चियों के प्रति ज़िम्मेदारी निभाते ये सारी बातें छोटी उम्र में ही समझानी चाहिए जिससे बेटीयाँ खुद स्व बचाव के लिए सक्षम हो सकें।

(भावना ठाकर, बेंगुलूरु)#भावु

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