कायनात पर भोर की पहली किरण के दस्तक देते ही तुम आन बसते हो मेरे ख़यालों में पहला ख़याल बनकर..
महसूस करो मैं चूमती हूँ तुम्हारे लबों पर ठहरी अलसाई सी हंसी की धनक को,
सुनो...
मुझे वो बनना है जिससे शुरुआत तुम अपने दिन की करते हो...
तुम्हारे चेहरे को अपनी हथेलियों में भरकर करीब से ओर करीब से निहारना चाहती हूँ,
तुम्हारे कानों के करीब अपने लबों पर पड़े बेताब पाँच शब्द बार-बार दोहराना चाहती हूँ "मुझे तुमसे बेइन्तहाँ इश्क है".....
वो सुनकर तुम्हारे प्रतिसाद के इंतज़ार में कुछ पल झुलसना चाहती हूँ,
दिन ब दिन तुम्हारे लिए मेरी तिश्नगी बढ़ती जा रही है...
तुम्हारी भूख में तड़पते दिल की और सारी कामनाएं मृत:प्राय होते गल चुकी है,
तुम मेरी ज़िंदगी का अनमोल हिस्सा हो...
मेरी तमन्नाओं का बाज़ार बड़ा छोटा है
तुम्हें छूना, तुम्हें चखना, तुम्हें पाने की ख़्वाहिश में तिल तिल मरना that's it
मैं हर सुबह भूख से बिलखते उठती हूँ, हाँ तुम्हारी भूख मैं तड़पते ख़यालों में दावत देते हर रोज़ तुम्हें बुलाती हूँ...
मैं तुम्हारी उपस्थिति को हर रोज महसूस करती हूँ, क्या मेरी आह तुम्हें बेकल करती है कभी?????
मेरे दिल पर पड़ी तुम्हारी यादों की अनुस्मारक है मेरी आहें...
तुम्हारे जिस्म से लिपटी सिगार की नशीली महक में नहाना है मुझे,
अपनी आँखों में प्रतिबिंबित प्यार को टकटकी लगाकर देखना
मुस्कुराती मेरी रूह महसूस होगी...
जो कहती है मुझे अनंत काल तक तुम्हारी आगोश में अपनी ज़िंदगी बितानी है। क्या मेरे इकरार से अनुबंध जोड़ती इज़हार ए इश्क की मोहर लगेगी तुम्हारी ओर से...
भावना ठाकर 'भावु' बेंगलूरु
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