दोस्ती की परिभाषा

दोस्ती की परिभाषा

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Bhavna Thaker
Bhavna Thaker 06 Dec, 2020 | 1 min read

"दोस्ती की परिभाषा"

छोटी मीनू टीवी में न्यूज़ देखते ही चिल्ला उठी, विशाल भैया जल्दी आईये देखिए न्यूज़ में क्या दिखा रहे है। विशाल स्टडी रूम से दौड़ता हुआ आया और न्यूज़ में अपने जिगर जान दोस्त अमन के शहीद होने कि खबर से हिल गया। आतंकवादीयों के साथ मुठभेड़ में मेजर अमन बजाज शहीद हुए इस समाचार ने मानों विशाल के कानों में गर्म शीशा उड़ेल दिया।

ये क्या हो गया विशाल के सामने सबसे पहले अमन की प्रेगनेंट बीवी रश्मि का चेहरा तैरने लगा। अभी सात महीने पहले ही अपनी पत्नी रश्मि के गर्भवती होने की खुशखबर सुनकर अमन पागल हो गया था और रिश्तेदारों और मित्रों में मैं बाप बनने वाला हूँ ये एलान करते अभी से मिठाई बांट रहा था। रश्मि को डिलीवरी के समय हाज़िर रहने का वादा करके सरहद का सिपाही कितना खुश खुशाल होते गया था। जिंदा दिल और देश के प्रति समर्पित अपने जिगरजान दोस्त के साथ बिताए पल विशाल की आँखों के सामने चित्रपट की तरह चलने लगे। बचपन से साथ खेलें, साथ पढ़े, पले बड़े मानों एक माँ की कोख से जन्में हो। नि:स्वार्थ निश्चल दोस्ती है दोनों की लोग मिशाल देते है विशाल और अमन की दोस्ती की।

पर अब ज़्यादा सोचने का समय नहीं था अमन के परिवार में सिर्फ़ उसकी माँ और पत्नी रश्मि ही है क्या बितेगी दोनों पर। जल्दी से विशाल ने कपड़े बदले और निकल गया अमन के घर जाने के लिए। यहाँ भी खबर पहुँच गई थी तो माहौल बहुत ही दर्दनाक था। अमन की माता जी का तो बुरा हाल था ही अपने इकलौते बेटे की मौत कौन माँ सह सकती है। रश्मि विशाल को देखते ही टूट गई सर पटक कर, चूड़ीयाँ तोड़ते हुए आक्रंद करते बेहोश हो गई। विशाल ने डाक्टर को बुलाया और माँजी को संभालते खुद भी बिखर गया। 

डाक्टर ने रश्मि को इंजेक्शन दिया और होश में लाए, पर आठवें महीने में ही सदमे की वजह से रश्मि को प्रसूति दर्द शुरू हो गया और अस्पताल में भर्ती करवाया गया। नार्मल प्रसूति संभव नहीं थी तो डाक्टर ने ऑपरेशन के लिए बोला और अनुमति कागज़ पर पति के दस्तख़त के लिए बोला। विशाल असमंजस में पड़ गया अब क्या करें पर विशाल ने चंद पल कुछ सोचा और दस्तखत कर दिए। कुछ ही देर में चाँद सी बेटी रश्मि के पहलू में खिलखिला रही थी। रश्मि को माँ जी ने सबकुछ बता दिया की किस तरह विशाल ने साथ दिया और कागज़ात पर दस्तखत करके फ़र्ज़ निभाया। रश्मि विशाल के आगे हाथ जोड़कर रो दी। पर विशाल ने माँजी के चरण स्पर्श किए और रश्मि को शांत कराया। दूसरे दिन शहीद अमन का नश्वर देह तिरंगे में लिपटा आया। हर विधि विशाल ने एक भाई की तरह निभाई। और आख़िर में अमन के सर पर हाथ रखकर विशाल ने कसम खाई कि ए दोस्त हमारी दोस्ती की कसम तुझसे ये मेरा वादा है आज से माँजी, रश्मि और ये नन्ही परी मेरी ज़िम्मेदारी है, ज़िंदगी में बहुत सारी खुशियाँ हम दोनों ने साथ में साझा की है, आज जिम्मेदारी बांट रहा हूँ इज़ाज़त दे। और अपनी ऊँगली छुरी से काटकर विशाल ने अपने खून से रश्मि की मांग भर दी।

सारे रिश्तेदारों ने इस रिश्ते पर मोहर लगा दी और पूरे सम्मान के साथ अमन के पार्थिव शरीर का अग्नि संस्कार किया। फिर विशाल ने रश्मि से कहा भाभी मुझे गलत मत समझिएगा आप हंमेशा अमन की अमानत रहेगी ये रिश्ता सामाजिक है, दैहिक नहीं। वक्त की नज़ाकत को समझते मुझे उस वक्त जो ठीक लगा मैंने किया मुझे माफ़ कर दीजिए। विशाल के दिल की विशालता और दोस्ती की परिभाषा के प्रतिक सम विशाल के आगे रश्मि का सर झुक गया।

(भावना ठाकर,बेंगुलूरु)#भावु

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