मुझे पहचानों

मुझे पहचानों

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Bhavna Thaker
Bhavna Thaker 18 Nov, 2020 | 1 min read
Prem Bajaj

मैं आकाशगंगा की क्षितिज पर ठहरा अद्रश्य तारा हूँ तुम्हारी हर ख़्वाहिश पर टूटने के लिए बेकरार।

मेरे रंगीन सपनों में डूबने के लिए निमंत्रित करता हूँ तुम्हें। 

निरंतर चलती दुन्यवी गतिविधियों से थोड़ा विश्राम ले लो, 

मेरे नज़दीक आओ, मुझे स्पर्श करो, मुझे चूमो। 

किसी सुहानी शाम को गवाह बनाकर दरिया की ठंडी रेत पर बैठकर कोफ़ी की लज्ज़त लेते मेरी आगोश में कुछ लम्हें बिताओ।

तुम्हारी जादुई आँखों से बर्फ़ कनिका या तारों के कतरें चुन लूँ। 

तुम्हारा वजूद असंख्य तारों के बीच मानों धूमकेतु की लकीर है मेरे लिए, उज्जवल आभा के तरंगों भरा चाँद हो तुम मेरी चाहत के आसमान का। 

उम्मीद, सपने और आश्चर्य सभर तुम्हारी तिलीस्मी ऊर्जा की गर्म आँच में खुद को पिघलाना चाहता हूँ।

"तुम मेरी हंसी में खेलो मैं तुम्हारी साँसों में जी लूँ"

ग्रहों की धरा पर तुम्हारी बाँहों में नृत्य करना चाहता हूँ, चाँद के साथ चलो बिलीयर्ड खेलते है। एक अनोखा जहाँ चुनते है। 

काश ब्रह्माण्ड मेरी विरासत में होता अणु- अणु तुम्हारे नाम करता। तुम्हारी चाहत के ताले की कुंजी हूँ। मैं वो हूँ जो रोज़ तुम्हारे ख़्वाबगाह की रौनक में सपना बन पलता हूँ।

क्षुद्रग्रह ना समझो तुम्हें पाने के लिए स्वर्ग को झकझोर रहा हूँ। मंत्रमुग्ध सितारा हूँ, तुम्हारे एक चुम्बन पर आकाश के हर नक्षत्र बदल सकता हूँ। 

"मुझे पहचानों" 

मेरी ख़्वाहिश में तुम्हारे साँस भरने की देर है। मेरे जूनून को आज़माकर देखो तुम्हारे कदमों में टूटकर बिखर जाऊँ। 

#भावु

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