तेरी नथनी की कसम धड़कन से बहते झरनों की लहरों पर सवार है तुम्हारे नाम की रवानी जाना।
ए दिलरुबा ज़रा चिलमन तो गिरा रुख़सार पर, बेमौत मर जाएगा तलबगार तेरा दीदार का मारा।
यूँ बेपरवाह न बनों इल्म ही नहीं तुम्हें तुम क्या हो, उपरवाले ने फुर्सत में बनाकर मेरी लकीरों में सजाया बेनमून उपहार हो।
हुश्न की शौख़ीयों की क्या मिसाल दूँ,
दामिनी सी अंगड़ाई लेते उठती है जब तू मेरे रोम-रोम में बेपनाह घंटियां बजे।
उफ्फ़ ये गरदन पर ठहरे तिल का जादू
मेरे चैनों करार का दुश्मन है,
चूडियों की झनकार जैसे प्रेम के नग्में गाती पुकार है।
लबों से टपकती शहद सी मीठी हंसी पर वार दूँ अपनी चाहत का खजाना,
कहो तुम्हारी खूबसूरत अदाओं को गज़ल में ढ़ालूँ या लिख दूँ नज़्म का नज़राना।
पहली बारिश की बूँदों सी पाक मेरी माशुका, तुमसा पूरी कायनात में कोई होगा कहाँ
तुम्हारे नखरिले नैंनों की संदूक में समा जाऊँ सदा के लिए
और लिख दूँ अपनी ज़िंदगी तुम्हारे नाम ताउम्र के लिए।
भावना ठाकर बेंगुलूरु #भावु
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