मुझे भी हक है

मुझे भी हक है

Originally published in hi
Reactions 0
419
Bhavna Thaker
Bhavna Thaker 16 May, 2022 | 1 min read

महकती जूही का मंडवा हूँ न कैक्टस का कंटीला कानन समझो, तुलसी सी आँगन में बोने की जगह क्यूँ जड़ से ही काटी जाती हूँ.. 


क्यूँ दफ़न कर दी जाती हूँ माँ की कोख में जन्म लेने से पहले, क्यूँ मेरी धड़कन की तान बजने से पहले ही मौन कर दी जाती हूँ..


मैं भी संसार रथ की सारथी हूँ मेरा भी एक स्थान है, क्यूँ स्थापित करने से पहले ही विसर्जित कर दी जाती हूँ..

 

क्यूँ नफ़रत है मेरे वजूद से क्यूँ अनमनी करार दी जाती हूँ, बेटी होना क्या गुनाह है जो कुचल कर कूड़े में फैंक दी जाती हूँ..


मानां जन्म भी देते हो पर बेटों की बराबरी में कहाँ पाली पोषी जाती हूँ, ये तो बेटी है इसे सब चलेगा उसी मानसिकता की बलि चढ़ जाती हूँ..


मुझे भी हक है जीने का मुझे भी ज़िंदा रहने दो, कभी दहेजखोरों तो कभी दरिंदों के हाथों बिना कोई गलती के मसली जाती हूँ.. 


अकेले मर्दों की दुनिया में वो किलकारियां कहाँ पाओगे जो उठती है बेटियों की मासूम मुस्कुराहटों से, क्यूँ हंसने से पहले चुप करा दी जाती हूँ..


दे दो न हक मुझे भी ज़रा सा मैं भी तो दुनिया देखना चाहती हूँ, मत काटो कोख में ही मेरे अंगों को मैं भी पनपना चाहती हूँ..


माना दुनिया तो बेटी की दुश्मन ठहरी पर माँ तो ममता की मूरत है, क्यूँ माँ की ही लकीरों से उखाड़ कर गटरों में बहा दी जाती हूँ..

भावना ठाकर 'भावु' बेंगलोर

0 likes

Published By

Bhavna Thaker

bhavnathaker

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.