दीवाना हूँ

दीवाना हूँ

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Bhavna Thaker
Bhavna Thaker 16 May, 2022 | 1 min read

'दीवाना हूँ'

कोई धारणा मत बाँधो मेरे लिए मेरी माशूका, मुझे नहीं आता आम प्रेमी बनना रोमांस में कच्चा हूँ, एक तुम्हारे उदास चेहरे पर हंसी की रौनक भरना जानता हूँ..

 

खुलकर करीब आओ हल्की रोशनी काफ़ी है तुम्हारे दीदार के लिए, 

न...न ना कोई नशे की जरूरत नहीं मुझे तुम्हारे जिस्म की खुशबू बहुत है मेरे बहकने के लिए..


मैं वह सफ़ेद घोड़े पर सवार सपनों में आने वाला राजकुमार न सही

ना ही वह खडूस पति की तरह तुम पर चिल्लाने वाला आदमी हूँ...समझो बिना तराशा हुआ हीरा हूँ, पर क्या तुम जानती हो जो तराशे नहीं जाते वह असली होते है...


श्रृंगार से सराबोर शब्दों का घट नहीं मेरे भीतर, मेरे स्पर्श की भाषा बड़ी तेज़ तर्रार है जो काफ़ी है तुम्हारी चाहत को आलिंगन में लेने के लिए...

 

मेरा प्रेम पूर्वभाषित नहीं होता, कोई आस मत रखना, तुम्हारी छुअन पर भड़क उठेगा शौलों की तरह, पिघलना होगा तुम्हें मेरे लबों की मोहर पर मेरी होते...


तुम्हें उस प्रेमी को ही स्वीकार करना होगा जो वास्तव में जैसा है, अगर इकरार है तो रंग भरने दो मेरी चाहत को तुम्हारी कोरी कैनवस सी ज़िंदगी में...

"दीवाना हूँ तुम्हारे अस्तित्व पर छा न जाऊँ तो कहना"

भावना ठाकर 'भावु' बेंगलोर

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