आज की 21 वी सदी की बच्चीयाँ रंगीन झरने सी चंचल है, यौवना तेज दिमाग वाली गुणों और काबिलियत की खान है, गृहिणी आत्मविश्वास सभर एक अदा ओर छटा की मालकिन है, ओर उम्रदराज़ महिला अपने वजूद में एक उत्कृष्ट अंदाज़ रखती है..!
आज की नारी के जीवन का हर पड़ाव गरिमामय ओर खुमारी से भरपूर है। आज की नारी कोर्पोरेट जगत से लेकर सोशल मीडिया तक, राजकारण के रण मैदान से लेकर पायलट बनकर उड़ान भरती हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही है। परिवार और अपने करियर दोनों में तालमेल बैठाती आज की नारी का कौशल वाकई काबिले तारीफ़ है। किसी को शिकायत का मौका नहीं देने वाली नारी आज अपने द्रढ़ मनोबल और साहस के बूते पर कामयाबी हासिल करते अपना लौहा मनवा रही है।
हर गतिविधियों से परिचित अपने वजूद को तराश कर हर पायदान पर सफ़लता पूर्वक आगे बढ़ रही है स्त्री विमर्श में उठती हर कलम को अब तोड़ दी है 21 वी सदी की नारी के हर अंदाज़ हर पहलू से परिवर्तन छलक रहा है अबला, बेचारी, लाचार जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने वालों को मुँह तोड़ जवाब देना सिख गई है।
अपने आस-पास उपेक्षित ओर अनमनी हर लड़की हर स्त्री को अपना हक दिलाने आगे आती है आज तक समाज में सम्मान को तरसती कुछ स्त्रियाँ थी हर क्षेत्र में गरीब से लेकर उच्च मध्यम परिवार में ओर हाई सोसायटी तक कहीं ना कहीं लड़कीयाँ ओर स्त्रियाँ किसी ना किसी के हाथों प्रताड़ित होती ही रहती थी पर अब बहुत सी औरतों ने प्रताड़ना की परिधि की सीमा लाँघ ली है।
हर अदा फ़बती है आज की स्त्री पर अब हर प्रताड़ना और अपमान का मुँह तोड़ जवाब देते कहती है सुनों दुनिया वालों मेरे कुछ अंदाज साफ़ परिणाम है तुम्हारी तीखी प्रतिक्रिया के, अगर आपको मेरा अंदाज़ पसंद नहीं तो आग लगा दो खुद की सोच को क्यूँकि मेरा अंदाज़ मेरे तेज़ दिमाग ओर ज्ञान की पहचान है।
हाँ नहीं जमती नारी की नई सोच और नई अदा ज़माने को कुछ खिटपिटीये लोगों की वक्र द्रष्टि आधुनिक औरतों पर तंज कसती रहती है पर अपनी सशक्त बुद्धिमत्ता और द्रढ़ आत्मविश्वास के साथ ताल मिलाती परिवर्तन की हवा संग बहती रहती है।
लड़की ओर औरत की सुंदरता फ़ेशियल की मोहताज नहीं पारदर्शी रूह ओर बुद्धिमत्ता उसकी सुंदरता में चार चाँद लगा देती है, काबिल ओर सक्षम है आज की नारी अपने पैरों पर खड़ी होकर हर मोर्चे पर एक धुँआधार योद्धा साबित होने का दम रखती है। वो पल कलात्मक होते है जब एक कामयाब औरत बिना किसी दिखावे के अपनी कामयाबी पर इतराती आगे बढ़ रही होती है।
आज की लड़की वो पौधा है जिस आँगन बोई जाए उस घर में पले वनराई ओर हरियाली। वो मध्यान्ह का झिलमिलाता सूरज है खुद के दम पर रोशन राह तलाश कर अपनी मंज़िल खुद तराशती है। अपनी ऊँचाई के मायने तय करती महान लक्ष्य पर ध्यान देकर अपनी काबिलियत पर भरोसा रखकर आगे बढ़ रही है।
तराशे हुए हीरे की कमनीय धार सी और मोती की चमकती परत सी स्त्री आज हर मर्द की वो दुआ बन गई है जब सिक्का उछालते समय वो आसमान की तरफ़ देखकर मांगता है।
आज की नारी आँखों में बसे सपनो को उड़ान देकर अपना आसमान खुद चुनती है, सिर्फ़ बोलने भर के लिए जो उपमा दी जाती थी बेटीयों को काली, चंडी, दुर्गा की अब वो उर्जा खुद के अंदर प्रकट कर ली है। अपने हक के लिए लड़ना सिख गई है और लड़ने से ना मिले तो छिनना सिख गई है। आज की नारी ख़ुमारी और आत्मसम्मान के साथ जीना सिख गई है।
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(भावना ठाकर) #भावु)
(बेंगलोर,कर्नाटक)
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