मुझे वापस लौटने के लिए कोई मेप नहीं चाहिए , जहाँ मैं आगे बढ़ रही हूँ उस पथ पर रोशनी की रश्मियाँ चाहिए।
भूतकाल की भूलों का स्मरण नहीं करना,
सँवार सकूँ आने वाला कल हाथों में वो हुनर चाहिए।
आगे बढ़ने के लिए स्वार्थ की सीढियां नहीं, अपनेपन और मानवता का स्पर्श चाहिए।
कर रही हूँ जो काम उस पर कड़ी आलोचना नहीं, पर जो किया है उस पर
मेरे अपनों की समीक्षा चाहिए।
ज़हन में उबलते लावा से शब्द नहीं चाहिए, प्रताड़ना के विद्रोह में लबों पर
धगधगते बोल चाहिए।
लाचारगी का तमस नहीं मुझे हौसलों की रौनक चाहिए, आसमान भले छोटा हो
मुझे उड़ने के लिए परवाज़ चाहिए।
मखमली पथ का मोह नहीं ये तो लकीरों की बात है साहब, हमें तो बस ज़िंदगी से जूझने का ज़बरदस्त जज़बा चाहिए।
(भावना ठाकर, बेंगुलूरु)#भावु
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