किसी खास दिन की मोहताज नहीं मेरी मोहब्बत मेरी हर साँस पर तुम्हारे प्रति चाहत का इज़हार बहता है..
न गुलाबों में सिमटा न चाॅकलेट पर अटका मेरे प्यार का पंछी तुम्हारी आगोश का आदी बाँहों की कैद में बिखरा..
ईश की ओर से इस जीवन में मिला अनुपम उपहार हो तुम
मेरी हर अधूरप को अपनाने वाले तुम मेरी ज़िंदगी का जश्न हो..
कृष्ण मुझे पूछे की अगले जन्म में उत्कृष्ट साथी का साथ मांगों, हम शौक़ से कह देंगे पहले इनका कोई पर्याय तो ढूँढ लाओ..
तुम्हारे सानिध्य की छाँह तले महफ़ूज़ सी खुद को पाती हूँ मेरी कल्पनाओं में बसे स्वप्न पुरुष की हूबहू परछाई हो तुम..
तुम्हारा हाथ थामें कई जन्मों तक पथरीली राहों पर नंगे पाँव चल दूँ परवाह करने वाला तुमसा जो साथी हो..
उष्ण उर्जा से नखशिख तुम रक्त की रवानी में बहते हो, मेरे सर की छत हो तुम मेरी धरती मेरा आसमान हो..
मैं मंदाकिनी तुम शिव हो अपने सर जो चढ़ा रखा है मेरे हर शौक़ को, तुम से तुम तक का सफ़र मेरी ज़िंदगी का मकसद है..
तुम बिन चार कदम भी चल सकूँ वो सामर्थ्य मुझमें नहीं तुम इस कमज़ोर इमारत का स्तंभ हो..
लग्न वेदी की अग्नि को गवाह रखकर थामा है हाथ तुमने, मणिकर्णिका घाट तक पहुँचाना है अचेतन मेरे देह को..
यूँहीं आख़री फेरे में तुम्हारे आगे नहीं रही तुम तक आती मौत को मुझे गले लगाना है, आख़री आँच तुम्हारे कर कमल से पाऊँ तो मोक्ष मिले..
भावना ठाकर 'भावु' (बेंगलोर, कर्नाटक)
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