ज़िंदगी नृत्य है, ज़िंदगी संगीत है, ज़िंदगी सुर है, ज़िंदगी इन्द्र धनुष के हर रंग सी रंगीन है,
"ज़िंदगी को महसूस करो"
आँखें मूँद कर रूह को सुकून के साँचे में ढ़ाल दो,
चिंता को आराम की जरुरत है हल्की मुस्कान की चद्दर पर लिटा कर सुला दो कुछ प्यारी सी धुन सुनाकर..!
विचार रथ के सारथी बनकर लगाम थाम लो,
गहरी साँस लेकर अपने आसपास में तैर रही सकारात्मक ऊर्जा को नखशिख भर लो, इस पल में सिर्फ़ प्रार्थी बने रहो उस शक्ति के चरणों में खुद को सौंप कर..!
मन को सुविचारों के हिरक कण से भरकर जिसने आपको सहारा दिया हो उस हर एक व्यक्ति के प्रति धन्यवाद के सुर को आलाप देते रोशनी की ओर प्रस्थान करते सुंदर कलात्मक सपनों को आँखों में भर लो..!
अपने आसपास शांति का वर्तुल रचकर
पथिक बन जाओ अपनी हर एक साँस को सुगंधित महसूस करते..!
एक सफ़र पर निकल जाओ जो पहुंचाता है मन को शांति ओर सुकून सभर स्वरचित स्वर्ग की ओर।
(भावना ठाकर, बेंगलोर)
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