Bhavna Thaker
Bhavna Thaker 12 May, 2022
रात को कहाँ अपेक्षा
रात को कहाँ अपेक्षा उजालों की अकेले मद्धम बहती है, चाँद की चाँदनी रात की उसी सादगी पे मरते रोशनी बिखेरती है।

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by bhavnathaker

12 May, 2022

रात को कहाँ अपेक्षा

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