तंत्री छंद
विधान-८,८,१०,६ मात्रा पर यति,चार चरण
विस्मृत करना,चाहूँ जितना,उतनी स्मृत होती,तुम मुझको।
समीप मेरे,जब होती थी,स्मृत ना होती थी,तुम मुझको।।
नहीं दूर अधिक,मुझसे हो तुम,मुझको तो भी स्मृत ,तुम होती।
विस्मृत जितना,करना चाहूँ,उतनी स्मृत होती,तुम मुझको ।
भारत भूषण पाठक"देवांश"🙏🌹🙏
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत सुन्दर
अति सुंदर
सादर आभार अभिन्न व आदरणीया🙏🌹🙏
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