आज के मानव

मानव की मानव बनने में आज कमी दिखाई दे रही है,हम मानवीय गुणों को खोते जा रहे हैं,जिसकी पुनर्स्थापना संसार हितार्थ राष्ट्रहितार्थ आवश्यक है।

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Bharat Bhushan Pathak
Bharat Bhushan Pathak 26 Dec, 2020 | 1 min read
Mankind Relations Nature Bonding

मानव उस शाश्वत सत्य सर्वव्यापी ईश्वर की बहुमूल्य कृति।कालांतर में मानव के जीवन का परम कर्तव्य होता था मानव मूल्यों की स्थापना करना,यथा:-परोपकार,प्रेम व सद्भावना का बीजारोपण।जीवमात्र की सुरक्षा करना,अहिंसा के मार्ग पर चलना इत्यादि।पहले मानव की परिभाषा में धर्म नहीं होती थी,परन्तु आज मानवों की परिभाषा इस प्रकार से दी जाती है हिन्दु,मुस्लिम,सिख,ईसाई इत्यादि।मानव की इस परिभाषा ने मानव को एक दूसरे से बिल्कुल दूर कर रखा है।आज के परिवेश में यदि बात करुँ तो इस प्रतिकूल काल से अतिशय खतरा हमें अपने में फैले इस कलुषित भावना से है कि मानवों को हमने जिसके आधार पर बाँट दिया है ।साथ ही इस प्रतिकूल काल ने तो हमें नुकसान तो पहुँचाया,परन्तु इसने हमें सच्चे रिश्तों की पहचान करने का अवसर दिया।

अन्त में कुछ पंक्तियाँ निवेदित हैं ताटंक छंद में पुनः समरसता की स्थापना के लिए:-

नहीं आज से लड़ना होगा,निर्णय अब है ये लेना।

पीर पराई यहाँ देखकर,हमको भी रो है लेना।।

जात-धर्म से यहाँ बड़ा है,केवल मानव हो जाना।

पशु हत्या से दूर रहो तुम,सादा भोजन ही खाना।।

भारत भूषण पाठक"देवांश"🙏🌹🙏








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Bharat Bhushan Pathak

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  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    उम्दा कृति सर जी

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