धनुषाकार वर्ण पिरामिड प्रयत्न:-
हूँ
हिन्दी
केवल
भाषा नहीं
समृद्धि तेरी
आत्मा हूँ हिन्द की
जनगण की आस्था
बसती है मुझमें
मैं सुस्पष्ट रूपा
हृदय रहा
भी सरल
सदैव
मेरा
है
>
मैं
बेटी
सरल
हृदया माँ
जो मेरी नाम
है संस्कृत जानो
संस्कृति सबको वो
सदा ये समझाती
केवल अपनी
नहीं सबकी
इसमें ही
कल्याण
तो
न
भारत भूषण पाठक"देवांश" 🙏🌹🙏
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