दिनांक-4-2-2022
पेपरविफ पर प्रेषित मेरी
स्वरचित कविता-
चयनित - वर्ण "ब"
शीर्षक- "बेमिसाल"
बासंती बयार बहे-
बाग-बगीचे बौराए,
बनकर बातूनी-बालिका-
बहुतेरी बातें बतलाए.
बरबस बहकी ब्रज बाला-
बांके-बिहारी बंसी बजाए,
बार-बार बना बंदनवार-
बेगम बसेरा बनाए.
बंदर बना बैठे बेवकूफ-
बबलू बेटा बहकाए,
बत्तख,बगुले,बेनाम बावड़ी-
बाजीगर बंधन बिसराए.
बादल बरसें बेहिसाब-
बूंद-बूंद बरबस बह जाए,
बातें बड़ी-बड़ी बौराएं-
बोलें,बस बहकाएं।
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रचयिता-
डा.अंजु लता सिंह गहलौत,नई दिल्ली
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