स्वरचित कविता-
शीर्षक-"संविधान को करें नमन"
हिंद देश की उभरती शान हम
हमने ठाना है ये आज मन ही मन..3
अब तो एक नया जहां बनाएंगे....
हर खुशी को खींच पास लाएंगे..
मुस्कुराएगा उम्मीदों का चमन
मन के तार बज उठेंगे
झनननन झनननन झनननन
आओ संविधान को करें नमन
झूम रहे आज सबके तन औ मन
अपने संविधान पर हमें है नाज
देश के संवर रहे हैं सारे काज
लोकतंत्र लोकप्रिय हो रहा
विश्व गुरू देश बन रहा है आज
स्वदेशी अस्मिता में है बड़ा ही दम
अपनी संस्कृति से बस जुड़ेंगे हम
आओ संविधान को करें नमन
झूम रहे आज सबके तन 'औ' मन
हिंद देश की..
एक एक एक को पढ़ाएगा...
सब पढ़ो का कार्यक्रम चलाएगा....
पढ़ना लिखना सबको ही लुभाएगा
अतुल्य वतन मेरा ये कहलाएगा
पीछे न हटेंगे अब तो ये कदम
बाबा भीमराव को करें नमन
हिंद देश की...
एक एक पौध सब लगाएंगे
हरियाली का गीत गुनगुनाएंगे
शुद्ध पर्यावरण का रखेंगे ध्यान
स्वच्छ देश रखने की खाएं कसम
इस तिरंगे झंडे की पहचान को
जान से भी ज्यादा चाहते हैं हम
बेटा-बेटी भेद का मिटे भरम
हिंद देश....
______
रचयिता-डा.अंजु लता सिंह गहलौत, नई दिल्ली
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