Title "हिंदी के हिंडोले में" (कविता)

हिंदी सरस,सरल,वैज्ञानिक एवं लोकप्रिय राष्ट्र भाषा है।

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दिनांक-17-9-2022

स्वरचित कविता-

शीर्षक-"हिंदी के हिंडोले में"

हिंदी के हिंडोले में जरा तो झूलिये हुजूर-

सूर,तुलसी के पद गुनगुनाइये जरूर,

मन का मयूर झूमता रहेगा रात-दिन-

भारत की भाषा भाए इसपर करें गुरूर.


खुसरो की खास बात देव देवैं सबै मात-

बिहरो बिहारीवाटिका में रस की हो बात,

दोहे दुहराए जाएंगे कबीर के तो सदा-

देंगे सदा इतिहास में सभी समय को मात.


शहंशाह रहीम हैं तो गिरिधर भूप हैं-

जिसे जहाँ भी देखिये कवि वही अनूप है,

निराला,पंत,प्रसाद से कहीं नहीं कृतिकार

कवि-पौध बढ़ रही,छनी इन्हीं की धूप है.


बढ़े चलो,चलो सभी,हिंदी को बढ़ाओ तुम

पढ़ो लिखो सिखाओ,अर्श तक इसे ले जाओ तुम

पार करो सोपान ,पग धरो संभाल के

हिंदी भव्य बिंदी मां के शीर्ष पर लगाओ तुम


      __________

# स्वरचित

डा. अंजु लता सिंह

नई दिल्ली

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