शीर्षक-" कविता जीवन में रस घोलती है"
अनुपम सा वरदान है कविता, जीवन में रस घोलती है-
प्रभु का वरद हाथ है जिस पर, कलम उसी की चलती है,
शब्दों का संसार लुभाए, सुर,लय,ताल संग में आए-
कल्मष का जब करे खुलासा, दुनिया सारी डरती है.
अनुपम सा....
चुप रहने वाले कागज पर, कलम अहर्निश चलती है-
आखर-आखर इतराता है, कवि प्रत्याशा पलती है,
अंतस में जो भाव उमड़ते, बाहर आकर समझाते-
कलमकार की शान है कविता,अथक निरंतर चलती है.
अनुपम सा....
मधुर तरंगें उठें ह्रदय में,जब-जब कविता पढ़ें सुनें-
लेखन की तो बात निराली, विद्वत-जन ही इसे गुनें,
जीवन में रस घोले कविता, मन-मयूर थिरकें हरदम-
भावुक,सरस, प्रबुद्ध लोग ही,कविता-लेखन कर्म चुनें.
अनुपम सा....
तेज धार तलवार है कविता, नहीं किसी से डरती है-
हिंसक,पथ-भटके समाज का, मार्ग प्रदर्शन करती है,
हर युग में मुस्काई कविता, इसने हर दिल जीता है-
अमर सुहागिन सी है कविता, उमर न इसकी ढलती है.
अनुपम सा....
स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित एवं प्रसारित कविता
डा.अंजु लता सिंह गहलौत ,नई दिल्ली
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