माॅम के क्लिप्स (लघुकथा)

कैंसरग्रस्त माॅम के सुंदर केशों में लगने वाले क्लिप्स उनकी स्वस्थता के इंतजार में हैं।

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 625




शीर्षक-" माॅम के क्लिप्स"

-पापा! देखिये! थैरेपी से अब माॅम के बाल आने लगे हैं।

कहते हुए नीता ने अचानक मां की पलकों में उभर आईं अश्रुबूंदें अपने दुपट्टे से पोंछींऔर पीठ थपथपाकर उन्हें ढाढस बंधाया। कैंसर से जूझती हुई मां के केशविहीन सिर पर स्कार्फ बांधते हुए वह अतीत में खो गई

-कितनी लंबी,रेशमी,सुनहरी,कोमलऔर गजरों से सजी सुंदर जुल्फें होती थीं मां की,जो उनके कंधों पर बिखरीं पापा को गुनगुनाने का सबब देतीं थीं।  

-ब्वाॅयकट बाल बड़े कर लिये तूने!विस्मय से मां बोली।

-आपके क्लिप्स आपकी जुल्फों का मादक स्पर्श न भूल जाएं, इसलिये बालों में लगाकर उन्हें याद दिलाती रहूँगी,कि कुछ रोज प्रतीक्षा करो।_________________

लेखिका-डा.अंजु लता सिंह, नई दिल्ली

0 likes

Support डा.अंजु लता सिंह गहलौत( Anju Lata Singh gahlot)

Please login to support the author.

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.