अनमोल उपहार

पोती परी का दादू से लगाव। क्रिसमस पर अपने स्नेहिल उपहार से आदर की अभिव्यक्ति

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स्वरचित बाल लघु कथा-

शीर्षक- "अनमोल उपहार"


- अरे परी बेटू! क्रिसमस ट्री में आप यह क्या सजा रहे हो?

- मम्मा! यह क्रिसमस ट्री तो मैं दादू के लिए विशेष रुप से बना रही हूं । दादू के लिये खांसी वाली विक्स की खूब सारी गोलियां,इन्हेलर और अदरक के टुकड़े फैंसी कागज में लपेट-लपेट कर इस ट्री में बांध रही हूँ ।

- हटाओ इन्हें बेटा! मैं बहुत सारे सजावटी सामान लाई हूं आप यही लगाइये बस।

- ये सब तो नकली चीजें हैं।कागजी ढोलक,नकली टाॅफी, छड़ी, लकड़ी का क्रॉस, चमकीले स्टार... आप तो इसे ड्राइंग रूम में ही सजा लीजिये बस। 

हमारी मैम कहती हैं, कि- बच्चों द्वारा अपने बड़े- बुजुर्गों की सेवा करना और उन्हें जरूरी उपहार देना ही क्रिसमस डे की सबसे बड़ी सौगात है।

- बिल्कुल ठीक कहती है हमारी बेटी! दादू दादी ने तो हमसे भी ज्यादा प्यार दिया है अपनी पोती को। कहते भी हैं ना- मूलधन से ज्यादा ब्याज प्यारा होता है, फिर भला हमारी बेटी क्यों नहीं करेगी इतनी प्यारी बातें?

कहते हुए परी की मम्मी घर के कामों में लग गईं।

रात को केक काटने की तैयारी जोर-शोर से चल रही थी, तभी गेट पर दो पड़ोसी बुजुर्ग अपने हाथों में खिचड़ी और दलिये के कटोरे लेकर सीधे परी के दादू के कमरे की ओर गए और परी के परिवार के सदस्यों के साथ तालियां बजा- बजाकर क्रिसमस डे सेलिब्रेट करते हुए परी के बीमार दादू को अपने द्वारा लाए हुए स्वादिष्ट मरीजी पकवान खिलाए।

दादू ने मुस्कुराते हुए अपने गले से क्रूस पर लटके ईसा मसीह वाली लॉकेट की सोने की चैन उतारी और परी के गले में डालकर अनमोल उपहार दिया।

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स्वरचित- डा.अंजु लता सिंह, नई दिल्ली

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