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स्वरचित कविता
शीर्षक-"ऑनलाइन का प्यार"
ऑनलाइन का प्यार सुहाना
जग हुआ इसका दीवाना
मोबाइल में व्यस्त हैं सारे
बुनें इश्क का ताना-बाना
करें नमस्ते,हाय,बाॅय
सुबह सुबह फोन खुल जाए
थिरकें अंगुली हर्षित हो तन
ढेरों मैसेज प्यार जताएं
अब न प्रेमी पढ़ते दीखें
चिट्ठी पत्री का संदेशा
पोस्टमैन की राह न देखें
आहट का भी न अंदेशा
लिंक दबाकर ऑनलाइन हो
लाइव,चैट दिन-रात करें
खुद ही अपना रिश्ता जोड़ें
फिर ब्रेकअप की बात करें
घूंघट में अब न शर्माती
छैल-छबीली वधू नवेली
शोला है या शबनम कोई?
लगे सभी को एक पहेली
कुछ भी कह लो,सत्य यही है
डिजिटल लव'सुख का संसार'
हर दिल पर दस्तक देता है
यह आभासी अनुपम प्यार
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रचयिता-डा.अंजु लता सिंह गहलौत, नई दिल्ली
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