रक्षाबंधन के साथ... पापा की याद...

भारत-भूमि पर पापा और बेटी का संबंध अटूट है,जो बिछुड़ जाने पर पर्व-त्योहार पर परिवार-जनों के बीच ज्यादा याद आता है।

Originally published in hi
❤️ 0
💬 0
👁 611

मेरी बात ...

"रक्षा बंधन" पर्व के साथ.

सचमुच मेरे देश की संस्कृति सबसे प्रभावी और अतुलनीय है।

भारत की धरती अपने अंदर संस्कृति की बेपनाह खूबसूरती को समेटे हुए है।इसका अहसास हमारे देश में मनाए जाने वाले पर्व- त्योहारों से होता है। 

कोरोना-काल के दौरान मेरे परिवार में मुझे,मेरे पतिदेव को और मायके में भाभी,भतीजे को भी कोरोना हो गया था । सब की हालत कष्टदायक ही रही,लेकिन हमारा इलाज घर पर ही नियमानुसार होता रहा।परिवार के सभी सदस्यों का सेवाभाव और स्नेहसिक्त व्यवहार ही निरंतर हमारा संबल बना रहा।हम सब ठीक भी पाएंगे या नहीं इसका डर तो मन में लगातार बना ही रहता था।

मुझे तो तीन दिनों तक ऑक्सीजन की भी जरूरत पड़ी।हम सब हर पल बस भगवान जी से हाथ जोड़कर यही कामना करते रहे, कि सब परिवार-जन स्वस्थ हो जाएं।

कोरोना के इस कष्टदायक समय में ही गत 18अप्रैल,2021 को हार्ट अटैक से हमारे पूजनीय पापा जी का साथ हमेशा के लिये छूट गया ।

पापा से बिछुड़ने की मनोव्यथा का शब्दों में वर्णन करना असंभव है।

राखी के दिन पापा जी की रह-रहकर बहुत याद आती रही। मेरी आंखें भरआईं। 

भाइयों की कलाई पर राखी बांधते हुए मैं दीवार पर लगी हुई मेरे पापा की तस्वीर को देखकर कई बार भावुक भी हुई।

मेरे पापा जैसा तो इस संसार में कोई नहीं हो सकता है।

पापा के आदर्श ,लोकप्रिय व्यवहार,प्रभावी व्यक्तित्व और उनके द्वारा हमें दिये गए संस्कार हमारे लिये जीवन के वरदान स्वरूप हैं। 

भगवान से प्रार्थना है ,कि मेरी मम्मी और मेरे भाई,भाभी के परिवार को सदा सुखी,स्वस्थ और सानंद रखें।

भाई बहनों का साथ कभी न छूटे।मेरी मम्मी दीर्घायु और स्वस्थ रहें। उनकी छत्रछाया में हम सब आनंदित रहें। 

डा. अंजु लता सिंह,नई दिल्ली

0 likes

Support डा.अंजु लता सिंह गहलौत( Anju Lata Singh gahlot)

Please login to support the author.

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

Please Login or Create a free account to comment.