Titlel-"कान्हा की बंसी"(कविता)

कान्हा का भारत-भूमि पर अवतरित होने की गुहार...भक्त का प्यार

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कान्हा की बांसुरी-

बजती रहे,

ग्वालों की टोली-

सजती रहे.


बरसाने की गोपी-

राधिके शर्माए, 

अधरों पर आस लिये-

गीत गुनगुनाए.


वृंदावन-वीथिकाओं में-

हो रौनक खुशियों की,

दिखे न कतार कोई-

बेबस, दु:खियों की.


यशुमति सब रीझें-

कान्हा पर अपने,

रुक्मणी देखें- 

मधुरिम से सपने.


हर युग में आएं-

भू पर गोपाला,

जादू कर जाएं- 

सब पर मतवाला.

 ______

रचयिता-डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम',नई दिल्ली 









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