"थैंक्यू सांता"(लघुकथा)

सांता बच्चों के प्यारे होते हैं।उपहार पाकर वे सभी उपकृत होते हैं।

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स्वरचित लघुकथा

शीर्षक-"थैंक्यू सांता"

क्रिसमस डे पर इस बार विराज की दीदी उसके लिये स्कूल बैग, ढेर सारी चॉकलेट्स,चिप्स,आदमकद सांताक्लाॅज,सजावट का सामान और क्रिसमस ट्री लाई थीं।वह बेहद खुश था।

शाम को उसके पापा एक और स्कूल बैग और केक ले आए थे।

शाम को उसने घरेलू सेविका के चार वर्षीय बेटे नोनू को अपनी मां से क्रिसमस गिफ्ट लेने की जिद करते देख मन में कुछ सोचा

वह भागकर अपने रूम में गया और गिफ्ट पेपर में नया स्कूल बैग और ढेर सारे अन्य उपहार रखकर पैक कर लिये।

रात को पार्टी में उसने नोनू को केक खिलाते हुए सांताक्लाॅज की झोली से गिफ्ट निकालकर उसे दिये और गले मिला।

अचानक नोनू आल्हादित होकर बोला- थैंक्यू सांता ब्रदर!मैरी क्रिसमस।

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लेखिका- डा. अंजु लता सिंह, नई दिल्ली

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Comments

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  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    शिक्षात्मक

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