गुरू की महिमा

गुरू ही सच्चे पथ प्रदर्शक हैं।

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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'
Dr. Anju Lata Singh 'Priyam' 07 Sep, 2021 | 1 min read

स्वरचित कविता

शीर्षक-- "गुरू की महिमा अपरम्पार"


सुंदर सुखकर यह संसार-

भू से नभ तक है विस्तार,

जन-मन,तन,वन,जल सब जानें-

गुरू की महिमा अपरम्पार


लकड़ी की मैं कलम बनाऊं-

उदधि-नीर की स्याही लाऊं, 

फिर भी लिखी न जाए महिमा-

गुरु पर मैं बलिहारी जाऊं.


मात-पिता,गुरू का सम्मान-

वसुंधरा पर है वरदान,

राज ये जिसने समझ लिया है-

उसी शिष्य की बढ़ती शान.

   ________

डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम',नई दिल्ली 






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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'

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