Title-"जिंदगी की कशमकश"

जीवन के किसी न किसी मोड पर उलझनें आती ही हैं.कशमकश के इस दौर में हमारी परीक्षा होती है.

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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'
Dr. Anju Lata Singh 'Priyam' 30 Jun, 2024 | 1 min read
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स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित एवं अप्रसारित कविता


शीर्षक -"जिंदगी की कशमकश"


जिंदगी की राह में आते हैं कुछ ऐसे मोड़

जब हम तय नहीं कर पाते कि जाएं अब किस ओर?

वहीं जगता है दर्दे दिल मचाए मन में हरदम शोर

इसे कहते हैं कठिन कशमकश का उलझन भरा सा दौर..


हमें जो नीचा दिखाए वो अपने हो नहीं सकते

मीठा बोलें जहर घोलें छिपा कर राज हैं रखते

गैर को दर्द हो इतना कि वो चुप रह नहीं सकते

पराए और अपने में फर्क ना आए चारों ओर

वहीं जगता है दर्दे दिल मचाए मन में हरदम शोर

इसे कहते हैं कठिन कशमकश का उलझन भरा सा दौर 


हादसों के चलें नश्तर, नजर हमको नहीं आते 

याद करने की जिद ठानी, भला मर क्यों नहीं जाते 

वक्त के हाथ में खंजर,चमकते दीखते सब ओर

वहीं जगता है दर्दे दिल मचाए मन में हरदम शोर

इसे कहते हैं कठिन कशमकश का उलझन भरा सा दौर..


किसी को पाने के लिए खुद को खो दें याकि उसके हो जाएं

सुलगती आग नयन जल से भला कैसे बुझा पाएं?

झुकने से रिश्ते गहरे हों तो हम भी झुक जाएं

मगर हर बार झुकने से तो अच्छा है संभल जाएं 

ऐसी हलचल हो जिगर में न नाचे मन का कोई मोर

वहीं जगता है दर्दे दिल मचाए मन में हरदम शोर

इसे कहते हैं कठिन कशमकश का उलझन भरा सा दौर..


जब न हंसते बने न रोते जब न जगते बने ना सोते 

आंसू झर झर बहें बेबात आंखों में रहे खटका

बोलना चाह रहे हों गले में बोल हो अटका 

रह जाते मन मसोस कर खुद पर करें हैं गौर 

वहीं जगता है दर्दे दिल मचाए मन में हरदम शोर

इसे कहते हैं कठिन कशमकश का उलझन भरा सा दौर..

वही जगता है दर्दे दिल मचाए मन भी हरदम शोर 

इसे कहते हैं कठिन कशमकश का उलझन भरा सा दौर..


बिना ही बात हंसना हो,विकट कष्टों में फंसता हो 

अगर मर मर के हो जीना, प्यास उत्कट जल न पीना 

खुद ही खुद में जो मगन हो किसी से भी ना मिलन हो 

फिर भी बिन बात मुस्काए जरा देखो भी उसकी ओर 

वहीं जगता है दर्दे दिल मचाए मन भी हरदम शोर 

इसे कहते हैं कठिन कशमकश का उलझन भरा सा दौर..

  _______________

रचयिता डा.अंजु लता सिंह गहलौत, नई दिल्ली

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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'

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