रियलिटी शो और संस्कृति

रियलिटी शो संस्कृति के वाहक नहीं हो सकते,लेकिन प्रतिभा कौशल से युक्त लोगों और बालकों को दुनिया के दर्शकों तक पहुंचाते हैं।

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स्वरचित कविता-रियलिटी शो"

शीर्षक-"रियलिटी शो"

(प्रतियोगिता हेतु प्रविष्टि)

दूरदर्शन पर *रियलिटी शोज़'का लगता है मेला-

खिंचे चले आते हैं दर्शक बरबस इनकी ओर,

'इंडियन आइडल','बूगी वूगी','डांस इंडिया डांस'-

ये सब शो, कला को प्रोत्साहित करते चहुँओर।


इस जीवन के आसपास, जगाते हैं विश्वास -

यथार्थ से जुड़े रोचक,नहीं रहने देते हमें उदास-

जानकर,समझकर रूचिकर लगती इनकी हर बात,

बरसों से देते आ रहे ,हमें ये मनोरंजन की सौगात।


रात-रात भर जागकर ,शौकीनों ने देखे खूब-

'खतरों के खिलाड़ी','राखी का स्वयंवर' रोमांचक रहे,

देश भर से खोजे गए प्रतिभासंपन्न पात्रों के अभिनय-

दिल को लुभाते,सपने जगाते,बहलाते रहे।



'सच का सामना','इंडिया गोट्स टैलेंट'

'बिग बाॅस'जैसे लोकप्रिय धारावाहिक,

बहुसंख्यक दर्शकों ने देखा सराहा-

देखा अभिभूत होकर अघाए न तनिक



फिर भी हताशा,मन में जिज्ञासा-

अब भी है बाकी,अक्सर कुलबुलाती,

जिसने भी गाड़े हैं झंडे कला के-

क्या होता उनका अंजाम?समझ न पाती।


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स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित एवंअप्रसारित कविता

लेखिका-डा.अंजु लता सिंह गहलौत, नई दिल्ली

सर्वाधिकार सुरक्षित ©®









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