पृथ्वी दिवस-2022
स्वरचित बाल कथा गीत
शीर्षक- एक छोटा सा जंगल था...
एक छोटा सा जंगल था एक प्यारा सा जंगल था
शेर भी रहते थे और भालू भी रहते थे
नन्हीं नन्हीं चिड़िया आकर नाच दिखाती थीं
सब ओर ही मंगल था
एक छोटा सा जंगल था .....
शीशम, पीपल,बरगद,नीम
बहुत इठलाते थे
नींबू,इमली, मीठी बेरी
हमें बुलाते थे
भूख लगे थी जब हमको,इन सब का संबल था
एक छोटा सा जंगल था....
कलियां मुस्काती थीं,
और फूल भी हंसते थे
भंवरे और तितली भी,
डाली पर बसते थे
कीट पतंगों से,
पाखी का दंगल था
एक छोटा सा जंगल था....
हाथों में बंदूकें लेकर-
खूब शिकारी आते थे,
हिंसक जानवरों को वे-
ऊपर पहुंचाते थे,
मुनि खाल पहनते थे-
हाथों में कमंडल था....
एक छोटा सा जंगल था...
खूब उछलते थे बंदर-
हम उन्हें बुलाते थे,
पकड़ मदारी उनको-
उनका नाच दिखाते थे,
दिल भी कुछ पग्गल था,
एक छोटा सा जंगल था....
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स्वरचित,मौलिक, अप्रकाशितएवंअप्रसारित बाल कथा गीत
रचयिता- डा. अंजु लता सिंह गहलोत, नई दिल्ली
सर्वाधिकार सुरक्षित ©®
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