पेपर विफ्फ मंच पर मेरी प्रस्तुति...
दिनांक-28-8-2022
स्वरचित गीत
बोल....
विश्व जल सप्ताह-2022 के अवसर पर...
शीर्षक-"हमें जल को बचाना होगा"
बूंदों को संचित करके।
इस जल को बचाना होगा ।।
स्वर्णिम भारत के पटल पर।
हमें कल को बचाना होगा।।
जल जीवन है जल अमृत है
जल बिन जीवन उष्ण सिकत है
इसके बिन न काम हो कोई
इससे भू पर बनी जीनत है
बात है सोलह आने सच्ची
हमें सबको बताना होगा
बूंदों को संचित करके हमें जल को .....
लहरें उछलें नदी में जल की
कूप में गहराई है तल की
झरनों में हैं गाती तरंगे
सुन लो सरगम हरेक पल की
इनके संग संग ही गाना होगा
हमें जल को....
शाॅवर कर दो बंद सभी अब
जल संचय की रखो तलब सब
बाल्टी, मग्घा यूज़ करो बस
कोने में रख दो सभी टब
कर्तव्य निभाना होगा
हमें जल को बचाना होगा
इस तन के पिंजर में जल है
सरवर में खिला शतदल है
खुशबू उड़ती है शुभ कर्मों की
मन में शीतल सी हलचल है
सौभाग्य जगाना होगा
हमें जल को बचाना होगा
पूजा-अर्चन में जल की जरूरत
स्वेद-बूंदों में चमके है मेहनत
जल कायम रहे धरती पर
हम पर होती रहे रब की रहमत
उस करतार के आगे हमको
सदा सर को झुकाना होगा
बूंदों को...
हमें जल को....
स्वच्छ रखो सब अपना धरातल
सोखे न जल की बूंदें रसातल
सबके हिस्से में यह अमृत हो
धरती मां का फैला है आंचल
यह सबको चखाना होगा
इस जल को बचाना होगा.....
तन में ताजगी इस पानी से
कहती हूं मैं वर्षा रानी से
छम छम जब बरसती हैं बूंदें
हूक उठती है धरती धानी से
सोंधी माटी सुंघाना होगा
हमें जल को बचाना होगा....
धनक हंसता सतरंगी गगन में
उतरे कीट पतंगे चमन में
कलियां चटकीं फूल मुस्काए
माली बाबा मगन भए मन में
अब तो समय सुहाना होगा
इस जल को बचाना होगा...
संगी-साथीआएंगे मेरे घर
लग जाएंगे सचमुच मेरे पर
दिल ही दिल में मैं उड़ती फिरूंगी
नींबू-शरबत,शिकंजी देकर
खुशियों का खजाना होगा
हमें जल को बचाना होगा...
चौपाये न प्यासे भटकें
राहों में न राही अटकें
गगरी और सुराही भरी हों
झूमें छाछ दही के मटके
अब समय न गंवाना होगा
हमें जल को....
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स्वरचित,मौलिक, अप्रकाशित एवंअप्रसारित कविता-
रचयिता-डा.अंजु लता सिंह गहलौत, नई दिल्ली
सर्वाधिकार सुरक्षित ©®
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
पढ़ के मज़ा आ गया। बहुत खूब लिखी है यह कविता आपने... 👏👏👏👏👏👏👏
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