स्वरचित कविता-
पेपर विफ्फ पर प्रेषित वीडियो क्लिप
दिनांक-21-10-2022
आओ हम सब मनाएं दिवाली
माटी के दियों वाली
तेल उनमें भरे सरसों का
और बाती बनाएं रूई वाली
अजी खुश होंगे सारे के सारे
कुंभकार परिवार प्यारे
उनके माटी के भांडे बिकेंगे
नैया को मिलेंगे किनारे
तन मन में जगेगी खुशहाली
आओ हम सब....
गांवों में कृषक हरषाएं
सरसों और कपास उपजाएं
लौ जलेगी रोशनी होगी
और पतंगे भी झूमे गाएं
रंगोली सजेगी मतवाली
आओ हम सब....
बम पटाखे नहीं है चलाना
आंगन में ही चकरी घुमाना
फुलझड़ी लेके सब हाथों में
गीत गाना और सबको नचाना
प्रदूषण से होगी रखवाली
आओ हम सब...
अमावस की रात अंधियारी
राम नाम से होगी उजियारी
वीर बालक जमीं पर हों सारे
प्रभु विनती सुनो यह हमारी
कोई हो न दशानन बाली
आओ हम सब....
_____
स्वरचित,मौलिक,अप्रकाशित एवंअप्रसारित कविता
डा. अंजु लता सिंह
गहलौत
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Great..👏👏
Please Login or Create a free account to comment.