परिवार के

"परिवार" मानव विकास और सभ्यता हेतु जरूरी सामाजिक संस्था है।

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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'
Dr. Anju Lata Singh 'Priyam' 15 May, 2022 | 1 min read


"अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस" लाइव के अवसर पर

"पेपर विफ्फ" पर प्रेषित प्रविष्टि

दिनांक-14-5-2022

स्वरचित कविता-

शीर्षक-"परिवार के साथ"

आओ तुमको बतलाती हूं -

एक पते की बात

कितना अच्छा लगता है जी-

परिवार के साथ.

चहल-पहल,सुख दुःख की बातें-

चलती हैं दिन- रात.

कितना....

बड़ों का आदर,सेवाभाव -

लाड़-प्यार की भी सौगात,

नोंक-झोंक खट्टी मीठी सी-

खुशी, सुकूं ,तीखे आघात.

कितना....

आओ तुमको...

शैशव खेले,हंसे जवानी-

प्रौढ़ों के उलझे जज्बात,

जीवन-संध्या की छाया में-

मिलकर दें पीड़ा को मात.

कितना...


दादी-दादू,मां-बाबू जी-

ताई-ताऊ,चाचा-चाची,

फूफा-बुआ,भाई-भतीजे-

मीठे रिश्तों की आबादी.

परिवार में, डाल चल रहे-

सब हाथों में हाथ।

कितना...


एकल परिवार का अब तो -

चलन बढ़ रहा जोरों पर,

मिलकर रहते थे कुटुम्ब में-

रहा भरोसा औरों पर.

रिश्तों के सरवर में रह-

खिलते थे पारिजात.

कितना...


"पेपर विफ्फ" भी अब तो मुझको-

परिवार सा लगता है,

श्वेता,तालिब,चारू,शिवानी में

भी प्यार झलकता है .

मधुर,अनोखी,लोकप्रिय सी-

इनमें है हर बात.

कितना...




  स्वरचित कविता-

डा. अंजु लता सिंह'प्रियम'

नई दिल्ली

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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'

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