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"शब्दों की खेती"करने वाले कलमकार निरंतर पेपर पर उपयोगी पौध वपन करते हुए साहित्य जगत को सुरभित करते रहें।

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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'
Dr. Anju Lata Singh 'Priyam' 13 Aug, 2021 | 1 min read

विषय-"पेपरविफ के पन्नों पर शब्दों की खेती"

स्वरचित कविता 

शीर्षक-"शब्दों की खेती" 


चिकने, चौकोर और कोरे-

मेरी डायरी के सुंदर पृष्ठ,

जब बो देती हूँ उन पर-

गहन,सार्थक,शब्द स्पष्ट.

झटपट हर लेते हैं मेरा कष्ट...


हल बन जाती है कलम-

खनन होती है मन की धरती,

भुरभुराते हैं भाव अनमोल -

करती हूँ शब्दों की खेती.

बनती सबकी चहेती...


पेपर पर उगते हैं -

सदाबहार वृंत,

पत्र-पत्रिकाएं-

किताबें और ग्रंथ.

जग में है उनकी महिमा अनंत...


पुरानी, नई पौध सबको ही भाए-

ह्रदय की जमीं पर उगे खूब ज्यादा,

'शब्दों की महिमा' तो होती असीमित-

पढ़ने का रहता है मन में इरादा.

विचार हों ऊंचे, जीवन हो सादा...

खजाना है अनमोल विद्या का इनमें-

संग्रह करो इनका, देखो भी जी-भर,

'गागर में सागर'भरा आखरों में-

सुरक्षित,समंजित रहते ये पेपर,

इनमें समाहित हैं ढेरों मधुर स्वर.

नमन है तुम्हें! पूज्य पेपर के तेवर....

______

स्वरचित-

डा.अंजु लता सिंह, नई दिल्ली 




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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'

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