#paperwiff "गरबा गजब हुआ रे"(गीत)

राधिका कान्हा गरबा नृत्य में मस्त हैं....

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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'
Dr. Anju Lata Singh 'Priyam' 07 Sep, 2021 | 1 min read

हाथों में सजती-

कान्हा की बंसी,

ग्वालों के बीच में -

नाचे यदुवंशी...

मिलने का सबब हुआ रे..

गरबा गजब हुआ रे.


संग-संग नाचें-

सखियां भी सारी,

मटकी ले राधा-

उतरीं अटारी...

हर्षित लो नभ हुआ रे..

गरबा गजब हुआ रे.


रास-रचैया-

कृष्ण-कन्हैया,

थिरके हैं जन-वन-

झूम रहीं गैया...

जीने का ढब हुआ रे..

गरबा गजब हुआ रे.


गोकुल के वासी-

रास रचाएं,

मुरलीधर कान्हा-

बंसी बजाएं...

मन बेसबब हुआ रे..

गरबा गजब हुआ रे.


पावन सा पर्व है-

सुंदर 'परंपरा',

भादों में अंगड़ाई-

लेने लगी धरा...

मन गुलकंद हुआ रे..

गरबा गजब हुआ रे.


_______

 कवयित्री- डा. अंजु लता सिंह 'प्रियम', नई दिल्ली

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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'

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