“सावन की बहार

सावन पर बूँदों की रिमझिम मनमोहक लगती है.

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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'
Dr. Anju Lata Singh 'Priyam' 11 Aug, 2024 | 1 min read


“ सावन की फुहार”

स्वरचित कविता

शीर्षक-“ सावन की फुहार”

मेघों ने बरसाया प्यार,आई लो बरखा-बहार

रिमझिम बूँदें लगीं नाचने,थिरक उठे सारे नर-नार

मोर,पपीहा,दादुर बोलें,कानों में मिसरी सी घोलें-

तृप्त हुई प्यासी धरती ,प्रकृति गा रही मंगलाचार.


धुले-धुले से पात हुए,तरुओं के निखरे गात हुए -

पुलकित प्रेमीजन चिहुँक रहे,भीगे-भीगे दिन-रात हुए,

गोरी झूले पर झूल रही,तन-मन की सुध-बुध भूल रही-

पहने हरियल चूड़ी-कंगन,मेंहदी से अंकित हाथ हुए.


तन पर पड़तीं शीतल फुहार,सपने जगाएं अनुपम हजार-

मस्ती के आलम में झूमें,कीट-पतंगों की क़तार,

सावन के गीत गूँजे चहुँ ओर,ढुलके आंसू पलकों की कोर-

विरहन से मिले मीत आकर ,पीर-शूल बनें पुष्पहार.

मेघों ने बरसाया प्यार,आ गई लो बरखा- बहार

तन पर अठखेली करें,सावन की नन्ही फुहार


रचयिता-डा.अंजु लता सिंह गहलौत

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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'

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