सहेली

सच्ची मित्रता किशोर वय के निश्छल लगाव में अधिक प्रभावी लगती है।

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स्वरचित लघुकथा

शीर्षक -"सहेली"


आज मीना की छठवीं कक्षा साफ-सुथरी,हिंदी लेखकों और कवियों की चयनित रचनाओं एवं कविताओं जैसी रोचक एवं संदेशपूर्ण विषय- सामग्री से सुसज्जित भित्तिचित्रों से खूब चमक रही थी।

कक्षा के सभी विद्यार्थीअलग-अलग दलों में विभाजित होकर "हिंदी पखवाड़ा समारोह"के अंतर्गत मंच पर अपने-अपने काव्य पाठ प्रस्तुति हेतु तैयार करके आए हुए थे.

मीना भी अपनी कक्षा में काव्यपाठ प्रस्तुति समूह का नेतृत्व कर रही थी.जैसे ही मीना की बारी आई,उसने सावधानी पूर्वक अपने मुकुट, मुक्ताहार,मुरली,मटकी,मोरपंख वगैरा जरूरी सामान संभाले और वहां उपस्थित विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं निर्णायक मंडली के समक्ष अपनी सुंदर प्रस्तुति दी।

मंच पर जाकर उसने कवि सूरदास जी के कृष्ण बाल लीला पद मटक-मटक कर लयबद्ध तरीके से भावविभोर होकर मधुर वाणी में रोचक ढंग से गाकर सुनाए.

'परिणाम की घोषणा' होते ही सब उसे बधाई दे रहे थे।वह प्रथम स्थान पर जो विजयी हुई थी,लेकिन अचानक ही मीना की रूलाई फूट पड़ी थी.जब हिंदी शिक्षिका ने उसके गालों को प्यार से सहलाते हुए उससे रोने का कारण पूछा तो वह सुबकते हुए बोली-

मैडम जी! ये मेकअप के सारे सामान मेरी सहेली कुंतल ने ही दिये थे मुझे.

मेरी मम्मी को तो रात भर तेज बुखार रहा.पापा टूर पर गए हैं।दीदी मम्मी की देखभाल करती रहीं। पड़ोस में रहने वाली मेरी पक्की सहेली कुंतल ने ही मेरे घर आकर मुझे प्रैक्टिस कराई.उसे तो कोई ईनाम भी नहीं मिला..

ऊं ऊं ऊं ऊं..आप उसे बुलाकर मेरा ईनाम उसे दे दीजिये ।प्लीज मैम!वो मेरी बहुत अच्छी दोस्त है।

तभी प्रिंसिपल मैडम ने मंच से एनाउंसमेंट किया -आज हम आप सबको एक और सरप्राइज दे रहे हैं।सच्ची और सह्रदय मित्रता की मिसाल पेश करने वाली मीना की सहयोगी छात्रा कुंतल सिंह को भी पुरस्कार और प्रशंसा पत्र देकर सम्मानित किया जा रहा है।

कक्षा का वातावरण तालियों से गूंज उठा था।

मीना को आज अपनी जीत पर ही नहीं बल्कि अपनी सहेली कुंतल के अमूल्य सहयोग की भावना पर गर्व हो रहा था.


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लेखिका

डा. अंजु लता सिंह 'प्रियम'

नई दिल्ली

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