Titleस्वरचित कविता शीर्षक- "रंगों की दुनिया"

नवरात्रों में मां अंबे खुशियों के रंग लाती है

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स्वरचित कविता

शीर्षक- "रंगों की दुनिया"


आया नवरात्रि का त्योहार,संग लाया है खुशियां अपार

जीवन के रंग हजार,लेके मैया आई मेरे द्वार

मेरे आंगन सजाई मैंने रंगोली,आके देखेगी मां मेरी भोली

कोई ना फंसे मंझधार,सबकी नैया लगाए पार

जीवन के रंग हजार,लेके मैया आई मेरे द्वार


दीनों के दुःखों को कम करके,कमजोरों के मन में दम भरके

 करें हम भी दया उपकार,जीवन का यही है सार

आया नवरात्रि का त्योहार,संग लाया है खुशियां अपार

जीवन के रंग हजार,लेके मैया आई मेरे द्वार


मां सबकी खबर ही रखती है,अपने खाते में फिर लिख लेती हैं

कर देती हैं नैया पार,जीवन के रंग हजार,लेके मैया आई मेरे द्वार

आया नवरात्रि का त्योहार,संग लाया है खुशियां अपार


खोल देती हैं अपने ख़ज़ाने को,आती हैं उसे ही लुटाने को

इस धरती पे बारम्बार रंग खुशियो के लेके अपार

आया नवरात्रि का त्योहार,संग लाया है खुशियां अपार

जीवन के रंग हजार,लेके मैया आई मेरे द्वार.

  ____

रचयिता-डा.अंजु लता सिंह गहलौत,नई दिल्ली

ई-मेल-- anjusinghgahlot@gmail.com

  (सर्वाधिकार सुरक्षित)



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