"शेर" (100शब्दों की कहानी)

मासूम बालक की बातें दिल पर गहरा असर करती हैं।

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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'
Dr. Anju Lata Singh 'Priyam' 16 Aug, 2021 | 1 min read


सुषमा अपने सात वर्षीय बेटे राजू को बहला- फुसलाकर सेब खिलाए जा रही थी.

बेटे की आनाकानी और मां की मानमनौवल का दृश्य देखकर गृहसेविका रमिया की नन्ही बिटिया के मुंह में पानी आ रहा था. वह बोली-

-आंटी ! मैं तो कोई भी फल खा सकती हूँ, मम्मी देती ही नहीं हैं. 

-बाहर जाकर खेलो..

-लड़कियां कीकर सी होती हैं. बिन खाद,पानी ही बड़ी हो जाती हैं.      

 झाड़ू लगाते हुए रमिया बोली.

-तभी राजू ने पूछा- मम्मी!फल खाकर क्या होगा ?                

 - मेरा बेटा शेर बनेगा...   

- फिर तो मैं आपको खा जाऊंगा.                                       

 मासूमियत से वह बोला.                                            -लेखिका- डा.अंजु लता सिंह 'प्रियम',नई दिल्ली  

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