"पेपर विफ्फ" मंच पर प्रेषित
स्वरचित कविता
शीर्षक- "भारत के युवा"
"युवा दिवस" सबको भाता है-
इस दिन से सबका नाता है,
स्वामी विवेकानंद थे जन्मे-
खुशियां फैली भू-मंडल में.
उनकी सब बातें अनमोल-
आओ लें सब मन में तोल,
भारतीय-संस्कृति उन्नायक!
रूढ़ियों की खोली थी पोल.
युवा-अवस्था सबसे हटकर-
शीतल,मंद पवन सी सुखकर,
यशगाथा जीवन में जिसकी-
आओ बातें कर लें इसकी.
साहस और उमंग भरपूर-
मन में जागे घनी हुजूर!
कजरारी सपनीली आंखें-
इधर-उधर हरदम ही झांकें.
सजता है अनुपम संसार-
उमड़ा फिरता मन में प्यार,
तन में जोश,दिलों में मस्ती-
दीवानी होती हर हस्ती.
नैना हो जाते जब चार-
सिर पर चढ़कर बोले प्यार,
दिल गाता रहता हैअक्सर-
बजते मन-वीणा के तार.
मर मिटने की खाकर कसमें-
जीते हैं पागल दिलदार,
सच्चे,कर्मठ और समर्पित -
कहलाते भू पर अवतार
मात-पिता की सेवा करते-
श्रमरत रहते,कभी न थकते,
बेटा हो या हो बिटिया-
सुगढ़ संतति का दम भरते.
बहन की रक्षा का वादा-
निभाता वफादार भ्राता.
सुता पावनी सरिता सी-
रखती है सबसे नाता.
देश के नवनिर्माता हो तुम-
आने वाले कल की आशा,
नमन तुम्हें हे सक्षम यौवन!
अद्भुत है तेरी परिभाषा .
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स्वरचित, मौलिक अप्रकाशित एवंअप्रसारित कविता
रचयिता-डा.अंजु लता सिंह गहलौत,नई दिल्ली
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