The role of artificial intelligence in shaping our society-opportunities and challenges

वर्तमान समय में हमारे भविष्य के निर्माण में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका महत्वपूर्ण है.

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स्वरचित लेख

शीर्षक-“हमारे भविष्य के निर्माण में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका”

(अवसर एवं चुनौतियां )

 

 विद्युतचालित यांत्रिक-उपकरणों एवं मशीनों में मानवीय क्रियाकलापों,भावनाओं,चिंतन,मनन एवं अनवरत श्रमरत रहने का आरोपण ही “कृत्रिम बुद्धिमत्ता” अर्थात् “आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस “का पर्याय है.

आधुनिक सुविधाओं से लैस “रोबोट”,चैट बोट,ए-आई से जुड़े ग़ज़ब के ड्रोन एवं आटोमैटिक यंत्रों की भरमार इसके ज्वलंत उदाहरण हैं.

मानव के भौतिकीय क्रियाकलापों के हस्तक्षेप के बिना ही सैन्य क्षेत्र में,भयंकर हिंसक सामरिक-उपकरणों का अंधाधुंध सफल प्रयोग भी अब संसार के लिये चुनौतीपूर्ण बन रहा है.

स्वार्थ,अशांति,पतनोन्मुख जीवन-मूल्यों का फैलाव दुनिया को अपनी चपेट में ले रहा है.

जहां तक अवसर मिलने की बात है,तो ज़ाहिर है,कि मानवीय सोच,मेहनत,कर्तव्य,अनुशासन आदि मशीनों द्वारा अपनाए जाने पर जीवन सहज,सरल और रोचक तो हो जाएगा,लेकिन क़ीमत हमें ही चुकानी होगी.

कम समय में ही ,प्रगति-पथ पर चलते हुए,हम सफलता के शीर्ष पर पहुँचने में कामयाब हो सकेंगे.

ए.आई यानि “आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस”कृत्रिम बुद्धिमत्ता 

संगणक(कंप्यूटर)को पूरी तरह से समर्पित तन मन की सामर्थ्य सुखद विस्मय में डालती है.

सन्1955 में जॉन मैकार्थी ने मशीनी साफ्टवेयर अन्वेषित करके विज्ञान इंजीनियरिंग से ही “इंटेलिजेंट रोबोट” की निर्मिति की और नए युग को विकसित लाजवाब बुद्धि का वरदान दिया,जिससे तर्क,ज्ञान,सीख,महत्वपूर्ण सांख्यकीय विधियों एवं ख़ुफ़िया तकनीकों का विस्तार हुआ.

ये सभी प्राधौगिकीय उद्योग हेतु ज़रूरी हैं.

विकसित और विश्वगुरु भारत बनाने में ए.आई की भूमिका सराहनीय है.

फिर भी हर सिक्के के दो पहलू तो होते ही हैं.अपवाद यहाँ भी हैं.चुनौतियों को जान लेना भी ज़रूरी होगा.

सृष्टि में मानवता,ममता,अपनत्व और मोहमाया के लिये ए.आई ज्वलंत खतरा है.

बेरोजगारी,कला-कौशल का पतन,अशिक्षितों की अनदेखी होगी और मानवीय जीवन-मूल्यों का ह्वास होगा.

*शैक्षिक क्षेत्र में,प्रशिक्षित वैज्ञानिकों का बोलबाला होगा.

*चिकित्सा के क्षेत्र में,माइक्रोस्कोपी साॉफ्टवेयर परीक्षण कामयाब होंगे.

*कृषि के क्षेत्र में,यंत्रों,खाद,पानी,बीज उपलब्धता हेतु ए.आई सेंसर ड्रोन,उपग्रह,डेटा संग्रह प्रयोगशालाएं बनेंगीं.

*लघु उद्योगों को हानि पहुँचेगी.

*कीमतों में उछाल होगा.

अंततः मशीनी सोच हावी रहेगी.समय अपडेट करना पड़ेगा.

 मानव जीवन सरल और सुविधाजनक होकर भी मूल्यों से दूर छिटक जाएगा.

“कृत्रिम बुद्धिमत्ता”का युग वरदान के साथ अभिशाप भी संग लेकर चलेगा.

कुछ पाने के लिये कुछ तो खोना ही होगा,अतः

हमें चुनौतियों का सामना डटकर करना होगा.

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    लेखिका-डा.अंजु लता सिंह गहलौत, नई दिल्ली 

     ई-मेल-anjusinghgahlot@gmail.com

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