चेहरा

"चेहरा"धरती पर आकर्षण,स्नेह,ममत्व,सादगीपूर्ण का प्रमाण है। चेहरे से जुड़कर हम जगत में सुखानुभूति कर पाते हैं।

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Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'
Dr. Anju Lata Singh 'Priyam' 17 Apr, 2022 | 1 min read

शीर्षक -"चेहरा"


सुख-दुःख के सारे भावों को-

चेहरा ही परिभाषित करता,

मानस में जब उठें हिलोरें-

हर्षातिरेक रगों में भरता.


इस चेहरे के मोहपाश में-

बंधे हुए हैं जीव-जन्तु सब,

उभरें भाव घृणा,शांति,दया-

हास्य,रौद्र,श्रृंगार,वीर रस.


खुली किताब लगे जब चेहरा-

होता ना कोई तेरा-मेरा,

मधुर मुस्कान समेटे अक्सर-

सबके दिल में करे बसेरा.


उठती जब मैं रोज सवेरे-

मुझको दिखते नन्हे चेहरे,

एक परी और वीर है दूजा-

बसे हैं मेरे दिल में गहरे.


पोती-पोते लगें फरिश्ते-

सबके दिल में गहरे बसते,

इनके मुखड़ों पर बलिहारी-

जीवन बीते हंसते हंसते



मां बाबा को याद करूं नित-

चेहरा ध्याऊं,होऊं पुलकित,

त्याग,नेह का सारा जीवन-

हम बच्चों को किया समर्पित.


अनजाने चेहरे से मिलकर-

बातें जब करते हैं खुल कर,

मानस में तब उठे हिलोरें-

चमकें चंदा,तारे, दिनकर.



जीवनसाथी का चेहरा-

पलकों पर लगता पहरा,

आंखों में ही बस जाता है-

दिल पर डाले है डेरा.


इन चेहरों की बात अनोखी-

दुनिया दीखे अनुपम चोखी,

आने-जाने का क्रम जारी-

जीवन-यात्रा ना जाए रोकी.

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रचयिता-डा.अंजु लता सिंह गहलौत, नई दिल्ली

anjusinghgahlot@gmail.com

























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