स्वरचित कविता
"मेरा बेटा एक डाॅक्टर है"
मेरा बेटा एक डाॅक्टर है
गर्व मुझे तो उसपर है
चमकाता है जगमग-जगमग
मोती जैसे दांत सजीले
'वरिष्ठ दंत चिकित्सक' है वह
जिसको हो दिक्कत आकर मिल ले
टेढ़े-मेढ़े ,काले, पीले
घिसे हुए या दांत नुकीले
सबका ही करता इलाज है
परिणाम भी लाजवाब है
अनमोल रत्न जैसे विचार हैं
ह्रदय गहन रत्नाकर है
मेरा बेटा एक डाॅक्टर है
गर्व मुझे तो उसपर है
क्लीनिक में आते दर्दीले
नासाज तबीयत,तन-मन ढीले
उदासीन मुख वाले रोगी
जाते हुए दिखें रंगीले
सच हुए सपने का हिस्सा है वो
जिसे सदा बांचूं किस्सा है वो
सफल डेंटल-सर्जन वो बेटा मेरा
परहित में तल्लीन कर्मठ है वो
मुझे फख्र उसपर कि सक्षम है वो
धमाचौकड़ी सी मची रहती जीवन में
सुकून और आराम मुट्ठी भर है
मेरा बेटा एक डाॅक्टर है
गर्व मुझे तो उसपर है
मेहनतकश इंसां ,समय का पुजारी
कोरोना काल में भी हिम्मत न हारी
स्वयं भी कोरोना से ग्रस्त रहा
स्वस्थ होते ही व्यस्त रहा
देकर दुआएं सब जाते मरीज
बेटा रहे सबके दिल के करीब
सबका चहेता ,बड़ा स्वाभिमानी
बसाई न दिल में कभी बेईमानी
परदेसी है वो,बसा बड़ी दूर
मन के नयन उसे देखें भरपूर
ऑनलाइन बातें होती हैं जब
कुशलक्षेम का पता चलता है तब
दिल देता बस यही दुआ
'सबकी सेवा' का धर्म निभा
पद की गरिमा सदा निभाए
देवपुत्र सा सबको भाए
औरों की खातिर जीता है वो बस
जनसेवा हेतु कसी कमर है
मेरा बेटा एक डाॅक्टर है
गर्व मुझे तो उसपर है
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स्वरचित,मौलिक, अप्रकाशित एवंअप्रसारित लघुकथा-
रचयिता-डा.अंजु लता सिंह गहलौत, नई दिल्ली
सर्वाधिकार सुरक्षित ©®
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