#Good habits #स्वरचित बालकथा

जल बचाना,पाखी बचाना,सफाई रखना जैसी जागरूक ता बालकों में होनी जरूरी हैं। कथा पात्र 'वैभव' ऐसा ही बालक है।

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#शीर्षक-"वादा निभाया"

अरे नल तो बंद कर दो बेटा!कितना पानी बर्बाद हो गया।

- मम्मा!जब तक मैं ढेर सारा पानी मग में लेकर हाथ मुंह धोकर ब्रश नहीं करता, तब तक मुझे चैन ही नहीं आता।

वैभव बोला।

- आपको तो पता है ना बेटा 'जल ही जीवन है' अगर हम आज इसकी एक एक बूंद नहीं बचाएंगे, तो आने वाला कल हमें कभी माफ नहीं करेगा। पानी के बिना कोई काम नहीं हो सकता।

- सॉरी मम्मा! अब जरूर ध्यान रखूंगा आपकी बात।

- ये सब्जी और फलों के छिलके कहाँ ले जा रहे हो?

- मैंने यूट्यूब पर पौधों के लिए खाद बनाना सीखी है, वही बनाने जा रहा हूँ ।

- शाबाश!यह तो बहुत अच्छी बात है।

- मम्मा किचन में आप गीला कूड़ा और सूखा कूड़ा अलग-अलग ही रखा कीजिये, तभी मैं अपनी इस योजना को पूरा कर सकूँगा।

- ठीक है मेरे छोटे गुरु जी!

कहकर हंसते हुए विभु की मम्मी अपने काम में लग गईं।

तभी गेट से अंदर आती हुई अधेड़ उम्र की घरेलू सेविका रमाबाई को 'नमस्ते आंटी' कहकर जैसे ही विभु मुड़ा,वह बोलीं- -सदा खुश रहो बबुआ।का कर रए हो इतनी सर्दी में बाहिर?

-पक्षियों को दाना-पानी दे रहा हूँ आंटी!बाजरा खाकर गर्मी आएगी इनके शरीर में।

-बहुतई अच्छी बात कही है।

-वर्मा जी!आपने आज का पेपर देखा?

आपके बेटे वैभव को "स्वच्छता अभियान परियोजना कार्य प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार मिला है।

गीले कूड़े से खाद बनाने पर...काॅलोनी का नाम कर दिया हमारे वैभव ने तो जी।

-वादा निभाया है जी हमारे बेटे ने।

कहते हुए वर्मा दंपत्ति निहाल हो रहे थे।

   _________

लेखिका- डॉ अंजु लता सिंह ,नई दिल्ली

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