Dr. Anju Lata Singh 'Priyam'
23 Nov, 2023
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पर प्रेषित मेरी कविता
स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित एवंअप्रसारित
शीर्षक"ध्यान मग्न मन"
ध्यान मग्न होकर मैं सोचूं-
कितना गहन समंदर है मन,
सुख दु:ख के सारे लम्हों को-
सहज समेटे रहता है मन.
'गम के आंसू' खारा पानी-
बांचें हरदम दु:खद कहानी,
तट पर लहरें पटक रहीं सिर-
अविराम है उनकी बानी.
भू ,नभ,जल,वायु और आग-
पंचतत्व से जागें भाग,
इस नियति को नमन करूं
गुनगुनाए संग जीवन-राग.
____
रचयिता- डॉ.अंजु लता सिंह गहलौत,नई दिल्ली
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
ई-मेल-- anjusinghgahlot@gmail.com
दूरभाष--9868176777
Paperwiff
by anjugahlot
23 Nov, 2023
अथाह जलराशि के समक्ष ध्यानमग्न युवती की तस्वीर
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